whatshotDeveloped by : O2OSELL.COM
💗 22165363
नूतन टीवी एप गूगल प्ले से इनस्टॉल करें । Get it on Google Play
Loading...


प्रेमचंद हिंदी कथा साहित्य के कोहिनूर

👁 835

access_time 31-07-2020, 11:23 AM


share
धनपत राय उर्फ मुंशी प्रेमचंद


नवीन शर्मा
वरिष्ठ पत्रकार

जयंती पर विशेष राँची : आज से सवा सौ साल पहले एक साधारण से दिखनेवाले दुबले पतले शख्स ने हिंदी कथा साहित्य का रंग-रूप बदल कर रख दिया था। ये धनपत राय उर्फ मुंशी प्रेमचंद थे। इससे पहले का कथा साहित्य यथार्थ से काफी दूर था ऐयारी की कहानियां, राजा-रानी के काल्पनिक किस्से। प्रेमचंद ने अपनी कहानियों में भारतीय समाज के कई रंगों को दिखाना शुरू किया। नमक का दारोगा कहानी में सरकारी नौकरी में ब्रिटिशकाल में भी फैली घूसखोरी को बड़े ही बेबाक ढंग से पेश किया है। इसमें एक पिता अपने बेटे को समझाता है कि नौकरी में ओहदे की ओर ध्यान मत देना, यह तो पीर का मजार है। निगाह चढावे और चादर पर रखनी चाहिए। ऐसा काम ढूँढना जहाँ कुछ ऊपरी आय हो। मासिक वेतन तो पूर्णमासी का चाँद है, जो एक दिन दिखाई देता है और घटते-घटते लुप्त हो जाता है। ऊपरी आय बहता हुआ स्रोत है जिससे सदैव प्यास बुझती है। वेतन मनुष्य देता है, इसी से उसमें वृध्दि नहीं होती। ऊपरी आमदनी ईश्वर देता है, इसी से उसकी बरकत होती हैं, तुम स्वयं विद्वान हो, तुम्हें क्या समझाऊँ। वहीं कफन भी काफी मार्मिक कहानी है। इसमें घीसू और माधव जैसे कामचोर और आलसी बाप -बेटे हैं। ये किस तरह माधव की पत्नी को प्रसव पीड़ा से मरने के लिए यूं ही छोड़ देते हैं इसकी दुख भरी दास्तां है। ये इतने बेगैरत हैं कि कफन के पैसे मांगकर लाते हैं और उसे दारू और खाने-पीने में उड़ा देते हैं। वहीं पूस की रात, पंच परमेश्वर, ईदगाह जैसी दर्जनों यादगार कहानियां प्रेमचंद ने रची। मानसरोवर उनकी अनमोल कहानियों का संग्रह है। प्रेमचंद ने एक से बढ़कर एक उपन्यास भी लिखें है। सेवासदन 1918, प्रेमाश्रम1922, रंगभूमि 1925, निर्मला, कायाकल्प 1927, गबन 1928, कर्मभूमि 1932, गोदान 1936 तथा मंगलसूत्र (अपूर्ण)। मंगलसूत्र को उनके पुत्र अमृत राय ने पूरा किया था। गोदान है लाजवाब इनमें से गोदान को भारतीय हिंदी उपन्यास का सबसे अनमोल रत्न माना जा सकता है। यह तत्कालीन भारतीय समाज का आइना है। खासकर ग्रामीण भारत का तो यह महाकाव्य है। होरी, गोबर, धनिया और मेहता-मालती ऐसे यादगार पात्र हैं जिन्हें हिंदी साहित्य में थोड़ी भी रूचि रखनेवाला व्यक्ति ताउम्र याद रखेगा। हमारे कृषि प्रधान देश के गांवों में बसनेवाले लोगों का इतना वास्तविक और विस्तृत वर्णन शायद हिंदी के किसी अन्य उपन्यास में नहीं है। गोदान एक साधारण से खेतीहर होरी के परिवार के जीने की जद्दोजहद की मार्मिक कहानी है। इनकी कहानी के बहाने ग्रामीण भारतीय समाज का मुक्कमल रेखाचित्र प्रेमचंद खिंच देते हैं। गोदान में गांव के साथ-साथ शहरी भारत की कहानी भी समानांतर ढंग से चलती है और कहीं-कहीं ये दोनों थोड़ी बहुंत आपस में मिलती हुई भी चलती हैंं। गोदान की भाषा भी मिट्टी से जुड़ी है। इस उपन्यास की अपील भी काफी व्यापक है। इसलिए ही इसे कालजयी रचना माना जाता है। हिंदी साहित्य पढ़ते हुए कभी-कभी मन को यह बात कचोटती है कि प्रेमचंद के जन्म के 150 वर्ष बाद भी हमें उनके स्तर का कोई अन्य कथाकार नहीं मिला। जयंती पर प्रेमचंद को नमन। स्केच : प्रभात ठाकुर, आर्ट डॉयरेक्टर, बॉलीवुड


हमें यूट्यूब पे सब्सक्राइब करने के लिए Youtube लिखे लाल बटन को दबायें।





संबंधि‍त ख़बरें




Top 3 Trending Editorial :


#1

कोरोना संकट में जनता के बीच से गायब हैं, चुनावी नेता


access_time 28-05-2020, 12:49 AM

#2

जिंदगी की राह में भारी पड़ने लगा है लॉकडाउन


access_time 29-05-2020, 11:46 AM

#3

रोजगार नहीं मिलने से उत्पन्न हो सकती है अराजकता, मुँह बाए खड़ी है प्रवासी श्रमिकों के रोजगार का संकट


access_time 31-05-2020, 03:27 PM