जाने कहाँ गये वो दिन कहते थे तेरी राह में नजरों को हम बिछाएंगे
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22-07-2020, 03:15 PM
फ़ाइल फ़ोटो मुकेश साहब
मुकेश की जयंती पर विशेष
राँची : मुकेश साहब मेरे सबसे प्रिय गायकों में से हैं। हाई स्कूल के दिनों में मुकेश के गीतों के चस्का लगा था। टूटे हुए दिलों के जज्बातों से भरे गीतों को वो अपनी दर्द भरी आवाज में बड़ी ही शिद्दत से गाते थे। उनके गीत दिल से सीधे दिल तक पहुंच जाते हैं। उनकी आवाज में एक अलग सी कशिश है जो उनके बाद किसी और गायक में नहीं मिलती। मुकेश की एक और बड़ी खूबी ये है कि उन्होंने सभी गाने उम्दा चुने। आप काफी कोशिश करके भी मुकेश का एक भी गाना नहीं बता सकेंगे जिसे घटिया, रदी, भौंडा या अश्लील कहा जा सके। यानी उनके सारे गीत प्योर गोल्ड है।
मुकेश की सबसे बड़ी खूबी ये थी कि वो दिल से गाते थे। इसलिए शायद उनकी आवाज अंतरतम को छू जाती थी। रफी साहब भले ही गले की कलाकारी में मुकेश से बेहतर रहे हों, किशोर कुमार में ज्यादा वेरिएशन रहा हो या आवाज में एक मर्दानगी और खनक रही हो लेकिन विरह के गीतों को लाजवाब बनाने में मुकेश साहब का कोई सानी नहीं है।
मोतीलाल ने खोला बॉलीवुड का रास्ता
मुकेश अपनी बहन की शादी में गाना गा रहे थे।इस कार्यक्रम में अभिनेता मोतीलाल भी थे। मोतीलाल को मुकेश की आवाज पसंद आई। ।मोतीलाल उन्हें मुंबई ले गए।वहीं अपने घर में रहने की जगह दी। साथ ही मुकेश के लिए संगीत रियाज का पूरा इंतजाम किया।
प्यारी आवाज खूबसूरत चेहरा
मुकेश चंद्र माथुर की आवाज तो प्यारी थी ही वे दिखते भी बेहद खूबसूरत थे। वे हिंदी सिनेमा के किसी भी हैंडसम हीरो को टक्कर देते नजर आते हैं। प्रारंभिक दौर में उन्होंने कुछ फिल्मों में हीरो की भूमिका भी निभाई थी।
राजकपूर की आवाज
मुकेश और राजकपूर की जोड़ी बेमिसाल थी। राजकपूर की अधिकतर फिल्मों में मुकेश ने ही गाने गाए। यहां तक की राजकपूर मुकेश को अपनी आवाज कहने लगे। इस जोड़ी ने एक से बढ़कर एक गीत दिए।मुकेश ने राज कपूर की इतनी फिल्मों में गाने गए कि उन्हें राज कपूर की आवाज के नाम से जाना जाने लगा. राज कपूर को जब उनकी मौत की खबर मिली तो उनके मुंह से आवाज भी नहीं निकली थी. मानो राज की जिंदगी किसी ने छीन ली हो। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक एक इंटरव्यू में राज ने कहा था मुकेश के जाने से मेरी आवाज और आत्मा दोनों चली गई
राजकपूर के बाद मनोज कुमार के लिए मुकेश ने बेहतरीन गीत गाए
साल 1970 में मुकेश को मनोज कुमार की फ़िल्म ‘पहचान’ के गीत के लिए दूसरा फ़िल्मफेयर मिला और फिर 1972 में मनोज कुमार की ही फ़िल्म के गाने के लिए तीसरी बार फ़िल्मफेयर पुरस्कार दिया गया।
रजनीगंधा’ के गाने के लिए राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार
1974 में फ़िल्म रजनीगंधा के गाने के लिए मुकेश को राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार दिया गया। 70 के दशक में भी इन्होंने कई सुपरहिट गाने दिये जैसे— फ़िल्म ‘धरम करम’ का एक दिन बिक जाएगा। 1976 में यश चोपड़ा की फ़िल्म ‘कभी कभी’ के शीर्षक गीत के लिए मुकेश को चौथा फ़िल्मफेयर पुरस्कार मिला। मुकेश ने अपने करियर का आखिरी गाना अपने दोस्त राज कपूर की फ़िल्म के लिए ही गाया था।
27 अगस्त 1976 को अमेरिका में स्टेज प्रोग्राम के दौरान मुकेश का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। रफी, किशोर और मुकेश तीनों लिजेंड गायकों में मुकेश साहब ने सबसे कम गीत गाए लेकिन जो भी गाये वो लाजवाब गाए। मुकेश साहब को उनके 91वें जन्मदिन पर इस नाचीज की तरफ से हार्दिक स्मरणांजलि।
उनके सैकड़ों अनमोल गीतों में से कुछ ये हैं
1कई बार यूं ही देखा है
2तु कहे अगर
3 ज़िन्दा हूँ मै इस तरह से
4 मेरा जूता है जापानी (फ़िल्म आवारा से)
5 ये मेरा दीवानापन है (फ़िल्म यहुदी से)
6किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार (फ़िल्म अन्दाज़ से)
7ओ जाने वाले हो सके तो लौट के आना (फ़िल्म बन्दीनी से)
8दोस्त दोस्त ना रहा (फ़िल्म सन्गम से)
9जाने कहाँ गये वो दिन (फ़िल्म मेरा नाम जोकर से)
10 मैने तेरे लिए ही सात रंग के सपने चुने (फ़िल्म आनन्द से)
11 इक दिन बिक जाएगा माटी के मोल (फ़िल्म धरम करम से)
12 मैं पल दो पल का शायर हूँ
13 कभी कभी मेरे दिल में खयाल आता है (फ़िल्म कभी कभी से)
14 चंचल शीतल निर्मल कोमल (फ़िल्म सत्यम शिवम सुन्दरम् से)
15 दुनिया बनाने वाले क्या तेरे मन में समायी
16 डम-डम डिगा-डिगा मौसम भिगा-भिगा।
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