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मेड इन चाइना - 'बॉयकाट चाइना'

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access_time 29-06-2020, 06:31 PM


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प्रशांत कुमार पाण्डेय, गढ़वा
मैकेनिकल इंजीनियर

गढ़वा : जब से चीन विवाद की शुरुआत हुई है सब लोग तरह तरह के सलाह दे रहे हैं, बिल्कुल सही बात है, चीनी सामानों का बहिष्कार होना ही चाहिए। भारत के ढेरों देशभक्तों ने चीन बहिष्कार का अभियान चला रखा हैं। उचित ही है। भारत के समक्ष चीन नित नए मसले खड़े कर रहा है रोज कोई न कोई नया बखेड़ा, जबरदस्ती युद्ध करने पर उतारू हो गया है। वो तो हम सहनशील है नहीं तो .......... चीन तो फिर भी ठीक है उसका दर्द तो हम भारतीय एक हद तक सहन भी कर लेते क्योंकि ये अभी-अभी नया दुश्मन बन कर उभरा ही परन्तु सब से बड़ी बात जो हमारे आंखों की किरकिरी बन कर उभरी है वो है चीन पाकिस्तान की दोस्ती। इसी कारण से पाकिस्तान उछलने लगा है और एक भारतीय की सबसे बड़ी दुश्मनी अब तक पाकिस्तानियों की नापाक हरकतों से ही रही है। पाकिस्तानी आतंकवाद पर भी चीन का रुख हजम नहीं हो पा रहा है। उरी हमले पर चिन ने जिस तरह पाकिस्तान का बचाव किया उस से भारत की जनता काफी आक्रोशित है। लोगों ने चीनी सामान के बहिष्कार की मुहिम चलाई और यह मुहिम अपना रंग भी दिखा रही है। तकरीबन एक ही महीने में भारत में चीनी सामान की बिक्री इतनी कम हो गई है कि उससे चीन बुरी तरह बौखला गया है। इस संबंध में चीनी मीडिया ने भारत के कटाक्ष किया और लिखा की - "भारत भौंक तो सकता है, लेकिन कुछ कर नहीं सकता। चीन के सामान और तकनीक के सामने भारत का सामान और तकनीक टिक नहीं सकता है।" चीनीयों को पता कहाँ है कि हमसब होते बड़े जिद्दी हैं, एक बार अगर ठान लेते है तो किसी को भी परास्त कर सकते है। उसे तो यह भी नहीं पता है कि उसकी औकात क्या है हमारे बाजारों में? यहाँ तो बस हम सब खरीद लेते है क्योंकि सस्ता मिल जाता है। पर एक बात तो पक्की है चीनी समान का बहिष्कार से हमें फायदा तो होगा। हमारी अर्थव्यवस्था को मज़बूती मिलेगी, छोटे कारोबारियों, कारखानों की स्थिति सुधरेगी, ढेरों नए रोज़गार का सृजन होगा, साथ ही साथ ही साथ चीन को सबक भी मिलेगा। पर क्या सच में बहिष्कार करने से ही हम चीन पर दबाव बना सकते हैं? क्या हम इसके लिए तैयार हैं? क्या जिन सामानों का हम बहिष्कार करने की बात कर रहे हैं उसकी वैकल्पिक व्यवस्था हमने कर ली है? क्या हम चीन की अर्थव्यवस्था उजाड़ सकते है, सिर्फ चीनी ऐप्प को हटा कर? शायद नहीं अगर बहिष्कार करना है तो हमें सब से पहले अपने आप को सुधारना होगा, हमें चीन के कंपटीशन में काम करना होगा। अगर कोई रेस हो रही हो और हम उसका बहिष्कार करते हैं इसका मतलब ये नहीं की हम रेस जीत गए बल्कि उसका मतलब हुआ कि हम डर गए। अमेरिका - जोकि सबसे बड़ा उपभोक्ता बाज़ार है, ऐसा कोई भी देश नहीं है जो अमेरिका में एक्सपर्ट नहीं करता हो पर वहाँ की जनता राष्ट्रवादी है, साम्प्रदायिक है। जो हमेशा देश के साथ रहती है चाहे कोई भी सरकार हो। फिलहाल वहाँ की जनता खुद ही चीनी सामान नहीं खरीद रही है। अपने देश का बना समान यदि महंगा भी हो तो भी "MADE IN CHINA" नहीं खरीद रही है, पर हमारे यहाँ शायद ऐसा लागू ही न हो पाए। यदि हम चाइना के बारे में देखें तो पाएंगे की चीन आज के 25 साल पहले इतना विकसित नहीं था, लेकिन उसने खूब मेहनत की अच्छे समान बनाये, क्वालिटी सुधारी, सस्ते समान बनाए, वहाँ की सरकार ने भी मदद की लेबर कानून और भी कई तरह के नियमों को सही ढंग से बनाया, इन्हीं सब कारणों से चीन ने पूरी दुनिया में खूब सामान बेचा। हमारे यहाँ क्या है कि चिंदीचोरी बहुत है, चलता है, चला लेंगे वाला धारणा बहुत है। चीन हमारे देश पर इस कदर हावी हो गया कि हमारे देवी, देवता, दीए तक वहीं से आने लगे हैं। चीन में एक शहर है 'ग्वांग्झू' जहां सबसे ज्यादा कारखाने है। वहां अगर कोई सामान एक हज़ार पीस बन रही है तो सारे के सारे एकदम सही बनते हैं (जो उनकी अपनी गुणवक्ता मानक हो उसके अनुसार) कोई कहीं गलती नहीं निकाल सकता, जिस तारीख को बोला गया हो उस दिन बन के तैयार मिल जाते हैं। वहीं हमारे देश की हालत आप जानते है यदि कोई कारखाना हो तो उसे 10 घण्टे लगातार बिजली नहीं मिलती, सामान बेचने - खरीदने में दलाल लग जाते हैं। कई जगहों पर पैसे खिलाने पड़ते हैं। सबसे बड़ी बात आती है कामगारों की, आये दिन हड़ताल होते रहता है और भी कई तरह की परेशानियां हैं। ये सब चीन में नहीं है इसलिए वो इतना बड़ा बाजार बन गया और यहाँ तक की अमेरिका जैसे बड़े देश का भी बाजार लगभग खत्म कर दिया, उनसे सस्ता सामान बनाने लग गया। आज सभी लगे हैं, सामान बहिष्कार करें और वो ऐप्प जिसपे आज के निक्कमे लोग लगे हैं (TIK TOK) या अन्य चीनी ऐप्प हटा दें इस से क्या हम चीन की अर्थव्यवस्था हिला पायंगे? इतनी बड़ी कंपनियां हैं हमारे देश में सूचना प्रौद्योगिकी (IT) की, क्या हम अपने ऐप्प नहीं बना सकते। फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सएप्प, अमेज़न इत्यादि जैसे। यहाँ तक की बड़ी बड़ी विदेशी कम्पनियों में भी शीर्ष स्थानों पर भारतीय ही हैं। शायद, अगर कोई आपको बहिष्कार का सलाह दे रहा हो तो वो गलत बता रहा है। अगर सच में हमे चीन को हराना है, तो हमें गुणवत्ता व मानकों पर ध्यान देना होगा। अगर हमें जितना है, तो हमे उनसे तगड़ी प्रतिस्पर्धा करनी होगी। अच्छे सामान बनाने होंगे, गुणवक्ता पर ध्यान देना होगा, समय पर ध्यान देना होगा, अपने चल जाएगा, चलता है वाले रवैये को बदलना होगा। मुझे विश्वास है कि एक दिन ऐसा जरूर आएगा की जब विश्व के हर बाजार में हमारी धूम होगी और हर जगह सिर्फ दिखेगा। "MADE IN INDIA" "भारत में निर्मित" (ये लेखक के अपने विचार हैं, इस लेख के तथ्यों की पुष्टि चैनल द्वारा नहीं की गई है)


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