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भारत के कारनामों से बौखलाया चीन

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access_time 26-06-2020, 01:40 PM


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प्रशांत कुमार पाण्डेय, गढ़वा
मैकेनिकल इंजीनियर

गढ़वा : आजकल रोज हम भारत चीन के बीच चल रहे कड़वाहट के बारे में सुन रहे हैं। सभी नेता भी अपनी - अपनी ख्याति बटोरने में लगे हैं। कुछ सच बोलकर तो, कुछ झूठ बोलकर वहीं कुछ बातों को बढ़ा - चढ़ा कर बता रहे हैं। देश की जनता हैरान है कुछ समझ नहीं आ रहा की क्या हो रहा है, और कौन सच बोल रहा है? युद्ध सी स्थिति बनने लगी है। बात तो यहाँ तक पहुँच गयी है कि आज सुबह पान दुकान पर भी इसी की चर्चा चल रही थी। अजीब सी स्थिति बन गयी है देश में लेकिन आखिर सच्चाई क्या है इसके पीछे, जिस देश का हमारे साथ करोड़ो अरबो का व्यपारिक संबंध है, हमारा पड़ोसी है वो अचानक दुश्मन बन गया? इस बारे में जानने के लिए हम सब से पहले जानते है भारत - चीन की कुछ भौगोलिक स्थिति। 1962 के चीन भारत युद्ध में कश्मीर का 38,000 स्क्वायर किलोमीटर जिसे हम अक्साई चीन के नाम से जानते हैं उसे चीन ने कब्जा कर लिया।किसी भी दो देशों के बीच की रेखा जो दोनों को अलग करता हो उसे हम लाइन ऑफ कंट्रोल(LOC) कहते है। उस हिसाब से हमारा लाइन ऑफ कंट्रोल होना चाहिए था। अक्साई चीन का बाद वाला बॉर्डर लेकिन फिलहाल भारत का कानून उस बॉर्डर से थोड़ा अंदर अक्साई चीन के पीछे जिसे लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) कहते हैं वही तक लागू होता है। उसके बाद चीनी कब्जा है। आए दिन चीन घुसपैठ करने की कोशिश में रहता ही है। पर केंद्र सरकारों के नजरअंदाज करने से उसे सहारा मिलता रहा है। अब जब चीन हमारे LAC के अंदर घुस कर गलवान घाटी में 3 किलोमीटर अंदर भारतीय सैनिकों के साथ षड्यंत्र कर रहा है और हमें ही पीछे हटने को बोल रहा है। गलवान घाटी हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है। एक तो ये चारों तरफ से पहाड़ो से घिरी है। जहाँ रोज पेट्रोलिंग सम्भव नहीं है। इस बार जब पेट्रोलिंग पर गए तो देखा की चीन वालो ने वहाँ अपना टेंट लगा लिया है और 5000 सैनिक तैनात कर दिया। इसके बदले भारत ने भी सैनिक तैनात कर दिए। अब भाई मुद्दा ये है कि चीन आखिर क्यों पड़ गया देश के पीछे? तो अभी चल रहा है करोना काल। जिसकी उत्पत्ति हुई है वुहान से जिसके लिए चीन पूरी दुनिया से घिर रहा है और जांच कमेटी के गठन के लिए भारत ने भी सपोर्ट कर दिया दूसरी बात हुई जब ढेरों कम्पनियों ने भारत की तरफ रुख करने की सोची, तो चीन गुस्सा गया और समझ गया की इस मुद्दे से ध्यान हटाने है तो लड़ाई में ध्यान लगवा दो बस शुरू की घुसपैठ। ये तो हुआ एक कारण। दूसरा मुख्य कारण ही हमारा सड़क निर्माण कार्य। अभी भारत ने काराकोरम जो की सबसे ऊपर ही वहां तक एक सड़क निर्माण कार्य कर रहा है, जिसका विरोध चीन कर रहा है। अब इसमें क्या परेशानी है चीन को हम अपने देश में कहीं रोड बनाये या कुछ करें। तो इसका कारण ही डर है। काराकोरम तक बनने वाली रोड बहुत ऊंचाई पर है लगभग 14000 फ़ीट की ऊंचाई और अगर ये रोड बन जाती है तो चीन घिर जाएगा। हमारी सेना की भारी गाड़िया भी आसानी से ऊंचाई तक पहुंच सकेंगी और ऊंचाई का फायदा हमें मिलेगा। ऊपर बैठ कर एक बम लुढ़का देना है बिना ज्यादा मेहनत के चीन में बम गिरेगा और चीन को बम ऊपर फेकने में ताक़त लगाना होगा। इस से पहले भी चीन के साथ हमारी भिड़ंत हो चुकी है। डोकलाम विवाद भी ज्यादा पुराना नहीं है, इसलिए भी चीन बौखलाहट में है और उसे तो सिक्किम की बात को लेकर हमारे लेफ्टिनेंट से मिले थप्पड़ का भी तो गुस्सा है। तो अब हम नेताओं की बातें सुन कर या बहकावे में आकर के आपस में ही पार्टी - पार्टी खेलते रहना है या आपने देश के सैनिकों का मनोबल बढ़ाएं उनका हौसला बुलन्द करें। अब सोचना ये है कि क्या चीन भारत युद्ध फिर से होगा? क्या पाकिस्तान चीन का साथ देगा? अगर युद्ध होता है तो कौन से देश किसका साथ देंगे? पर कुछ भी हो हम सब देश के साथ हैं और जो भी हमारी अखड़ंता को तोड़ने की कोशिश करेगा उसका जबाब जरूर देंगे। जय हिंद..... (ये लेखक के अपने विचार हैं, इस लेख के तथ्यों की पुष्टि चैनल द्वारा नहीं की गई है)


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