विस्थापित संघर्ष समिति, डीवीसी, कोनार डैम के नेतृत्व में डीवीसी कोनार डैम से हुए विस्थापितों की समस्याओं से संबंधित मांगों को लेकर डीवीसी के चेयरमैन के नाम 8 सूत्री मांग पत्र डीवीसी कोनार डैम के चीफ इंजीनियर संजीत कुमार सिन्हा को डीवीसी कोनार डैम के विस्थापितों ने सौंपा।
डीवीसी कोनार डैम के विस्थापितों से संबंधित 8 सूत्री मांग पत्र सौंपते हुए प्रतिनिधिमंडल में शामिल समिति के कार्यकारी अध्यक्ष चमन ठाकुर, उपाध्यक्ष सह सीटू नेता राकेश कुमार, विनय महतो घनश्याम महतो,समिति के सचिव चेतलाल महतो एवं नरेश तुरी ने कहा डीवीसी की स्थापना हुए लगभग 65-70 वर्ष बीत जाने के बाद भी आज डीवीसी कोनार डैम के विस्थापित अपने हक और अधिकार के लिए संघर्षरत हैं यह दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा डीवीसी प्रबंधन ने आज तक उन विस्थापितों के हक और अधिकार के प्रति गंभीर नहीं दिखी यही कारण है कि आज इस इलाके के विस्थापितों को विस्थापित संघर्ष समिति के बैनर तले गोलबंद होना पड़ा है।
प्रतिनिधिमंडल में शामिल नेताओं ने कहा कि आज हम लोग डीवीसी कोनार डैम के चीफ इंजीनियर को डीवीसी के चेयरमैन के नाम अपनी 8 सूत्री मांग पत्र सौंप रहे हैं। अगर अविलंब विस्थापितों से जुड़ी इन 8 सूत्री मांगों को पूरा करने के लिए डीवीसी प्रबंधन विस्थापित संघर्ष समिति के साथ वार्ता नहीं करती है और हमारी मांग को पूरा नहीं करती है तो आने वाले दिनों में बहुत जल्द हम डीवीसी कोनार डैम के विस्थापितों को संगठित कर एक बड़ा आंदोलन डीवीसी के खिलाफ करेंगे।
उनलोगों ने कहा यहां के विस्थापितों व किसानों की जमीन लेकर कोनार डैम की स्थापना की गई थी। कोनार डैम की स्थापना के वक्त जब विस्थापितों की जमीन ली जा रही थी तब लोगों को यह लगा था कि हमारी जमीन जाने के बाद डीवीसी के माध्यम से हम विस्थापित परिवारों को रोजगार मिलेगा, विस्थापित गांव के खेतों में पानी मिलेगा और क्षेत्र का चहुंमुखी विकास होगा। लेकिन आज 65-70 साल बीत जाने के बाद भी उनका यह सपना अधूरा पड़ा हुआ है ना तो उन विस्थापितों को मुआवजा व रोजगार मिला है, ना ही डीवीसी प्रबंधन विस्थापित क्षेत्र में विकास का कोई कार्य कर रही है ।
इस कार्यक्रम में महेंद्र महतो, चिंतामन महतो, भुनेश्वर महतो, बालेश्वर महतो, मनोज महतो, मुकेश कुमार, मुबारक अंसारी, अकबर अंसारी, बालेश्वर महतो,जमुना महतो, चिंटू महतो, कृष्णा तुरी, हुलास महतो, जीवधन महतो, दिनेश महतो, नारायण महतो, चिंतामन महतो, औरंगजेब समेत दर्जनों लोग शामिल थे।