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मेरे सपनों का झारखंड

location_on गढ़वा access_time 15-Nov-21, 09:07 AM

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14 नवंबर की आधी रात झारखंड ने बिहार को अलविदा कह दिया। सन 2000 को महान बिरसा मुंडा के जयंती दिवस के पावन बेला को झारखंड राज्य का गठन हुआ। उपेक्षा, शोषण एवं अन्य पीड़ाए को भेदते हुए झारखंड का सूर्य आशा, अपेक्षा और उम्मीद की किरण लेकर उदित हुआ। झारखंड के निर्माण के पीछे तिलका माँझी, बिरसा मुंडा, चाँद-भैरव, सिंदू- कांहू, शेख भिखारी जैसे कई वीर शहीदों का सपना था। एक ऐसा सपना जिसमे झारखंडियो का उनका हक़ हकूक मिल सके एवं दीकुवों से छुटकारा मिल सके। प्रकृति से मिले वरदान स्वरूप खनिज सम्पदा, नदी, हरे भरे पेड़ों का भंडार पर झारखंडियो का हक़ हो और अपना राज्य उन्नति के पथ पर अग्रसर हो। आज 21 साल बाद झारखंड अभी भी वही खड़ा है। हमारा सपनों का झारखंड हासिये पर खड़ा है बड़ा अफसोस होता है ये जानकर की देश का सबसे अमीर राज्य होकर भी यहाँ सबसे ज्यादा ग़रीबी, बेरोजगारी, पलायन जैसे समस्या शीर्ष पर विधमान हैं। इस युवा झारखंड मे युवा आत्महत्या करने को मजबूर हैं JPSC, JSSC जैसे चयन विभागों में पारदर्शिता की कमी है, भ्रस्टाचार चरम पर पहुँच चुकी हैं। आए दिन रोज ही मोहरबादी मैदान में गलत चयन प्रकिर्या के विरुध में विरोध का सूर देखने को मिलता है। इन्हे तो विरोध करने का भी हक़ नही मिलता, इन पर लाठियाँ बरसाई जाती हैं। इस 21 साल के दौरान, चाहे भाजपा हो, जे एम एम हो, या काँग्रेस सब ने झारखंड को लूटने का किया। मैं ख़ुद निलाम्बार पीतांबर की धरती पलामू परगना से हूँ जहाँ न कल कारखाने हैं, न ही कोई रोजगार के अवसर। यहाँ पढ़े लिखे युवा दूसरे राज्य में पलायन होने को मजबूर हैं। मेरे सपनो का झारखंड बनाना अभी भी बाकी है, जब तक आदिवासी, दलित, पिछड़े वर्गो को उनके हक़, भूखे को अनाज, युवाओं को रोजगार नहीं मिल जाती मेरे पूर्वजो के अलग राज्य बनाने का सपना अधूरा है। युवाओं, समाजसेवी, विभिन्न सामाजिक संगठन एक होकर झारखंड के हित मे स्थानीय नीति बनाने को लेकर सरकार पर दबाव बनाने की आवश्यकता है। जब तक मेरे सपनों का झारखंड नहीं बन जाता तब तक उलगुलान जारी रहेगा। जोहार रहेगा🙏 मुबारक अंसारी युवा समाजसेवी, गढ़वा


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