गोमिया। गोमिया के ललपनिया स्थित टीटीपीएस प्लांट से निकला 3 टन सनोस्फेयर की बड़ी खेप को जगेश्वर बिहार पुलिस ने एक सप्ताह में दूसरी बार लावारिश हालत में बरामद किया है।
जगेश्वर बिहार थाना प्रभारी कन्हैया राम ने बताया कि गुप्त सूचना मिली थी कि मुख्य सड़क से 300 मीटर दूर मुरपा जंगल में सनोस्फेयर के अवैध कारोबारी बड़ी खेप को खपाने की कोशिश में लगे हैं। सूचना के आधार पर पुलिस की गश्ती टीम मौके पर पहुंची तो जंगल में डेढ़ सौ सीमेंट के बोरियों में लदे लगभग 3 टन सनोस्फेयर को लावारिश हालत में बरामद किया है। थाना प्रभारी ने बताया कि मौके से सनोस्फेयर की बड़ी खेप को बरामद कर जब्त किया गया है और थाने लाई गई है।
वहीं बताया कि उक्त पूरे मामले में सनोस्फेयर के कारोबारियों की तलाश की जा रही है। मामले में संलिप्त दोषियों के खिलाफ मामला दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी।
बता दें कि पिछले 21 जुलाई को भी जगेश्वर बिहार थाना की पुलिस ने गुप्त सूचना के आधार पर थाना क्षेत्र के चुंगनु गांव से भारी मात्रा में लावारिश हालत में बिना रजिस्ट्रेशन नंबर के ट्रैक्टर में लदे सनोस्फेयर बरामद किया था। जिसके बाद दो लोगों को नामजद आरोपी सहित दो अज्ञात के विरुद्ध मामला 19/21 दर्ज किया गया था। थाना प्रभारी ने बताया कि उक्त मामले में भी पुलिस दो नामित सहित ट्रेक्टर मालिक सहित चालक की तलाश के लिए भी संदिग्ध ठिकानों पर छापेमारी कर रही है।
टीटीपीएस कंपनी के विश्वसनीय सूत्रों का कहना है वास्तविकता यह है कि कंपनी से निकलने वाली वेस्टेज छाई के साथ निकलने वाली (झाग) सेनोस्फेयर कंपनी का कोई कंट्रोल (नियंत्रण) नहीं है। फिर भी जिस तरह अन्य सरकारी गैर सरकारी कंपनियों में इस तरह की संवेदनशील अपशिष्टों में टेंडर प्रक्रिया अपनाई जाती है। टीटीपीएस भी टेंडरिंग प्रक्रिया पर विचार कर रही है।
सनोस्फेयर का बहुत बड़ा है कारोबार
पूर्व में इस कारोबार से जुड़े कारोबारी ने नाम नहीं छापने के शर्त पर बताते कि टीटीपीएस प्लांट से निकलने वाले छाई के साथ बहने वाले तरल पदार्थ जो पानी के ऊपर तैरता हुआ पाया जाता है। सनोस्फेयर कहा जाता है। बताते हैं कि इसके माफिया उसको पहले दिहाड़ी मजदूर छानवाते हैं गर्म पानी के साथ बहने वाले झाग रूपी छाई को (सनोस्फेयर) माफिया मजदूरों से 8-10 रुपये प्रति किलोग्राम के दर से उसे खरीद लेते हैं। बताया सनोस्फेयर भूरे रंग का दिखने वाला पदार्थ हल्का और ठंडा होता है किसी भी टरबाइन अथवा उससे संबंधित अन्य उपकरणों को बहुत देर गर्म नहीं होने देता है, और पानी में आसानी से तैरता रहता है जिस कारण इसका उपयोग पानी जहाज सहित कई तरह से वैध अवैध कार्यों में किया जाता है। वहीं एक पूर्व कारोबारी बताते हैं इसका उपयोग अवैध तरीके से विस्फोटक के पैकेजिंग बनाने के काम मे भी इसका उपयोग किया जाता है। बताया कि ऑनलाइन इसका दर नागपुर में 65 रुपए किलो खरीदा जाता है। जिसका माफिया भरपूर फायदा उठाते हैं। वहीं सरकारी राजस्व की भारी क्षति होती है।
टीटीपीएस कंपनी में नहीं होता इसका टेंडर
कहा कि सनोस्फेयर माफियाओं के फलने फूलने का एक कारण यह भी बताया गया कि भारत सरकार के डीवीसी जैसी कंपनियां इस तरह के मामले में टेंडर प्रक्रिया जारी कर करोड़ों का राजस्व प्राप्त करती है। जबकि टीटीपीएस में उक्त प्रक्रिया न होने के कारण सनोस्फेयर माफियाओं की चांदी और सरकार को राजस्व क्षति का सामना करना पड़ता है।