गोमिया। ललपनिया स्थित टीटीपीएस प्लांट से निकला 3 टन सनोस्फेयर एक बिना रजिस्ट्रेशन नंबर के ट्रेक्टर में लदा जगेश्वर बिहार पुलिस ने बरामद किया है। जगेश्वर बिहार थाना प्रभारी कन्हैया राम ने बताया कि गुप्त सूचना मिली थी कि चुंगनु गांव में सनोस्फेयर के अवैध कारोबारी बड़ी खेप को खपाने की कोशिश में लगे हैं। सूचना के आधार पर पुलिस की गश्ती टीम मौके पर पहुंची तो ब्लू रंग के एक बिना रजिस्ट्रेशन नंबर के ट्रैक्टर में दर्जनों सीमेंट के बोरियों में लदे लगभग 3 टन सनोस्फेयर को छोड़कर कारोबारी फरार हो गए। थाना प्रभारी ने बताया कि मौके से ट्रेक्टर को माल सहित बरामद कर जब्त किया गया है।
वहीं बताया कि उक्त पूरे मामले से कारोबारियों की तलाश की जा रही है। ट्रेक्टर मालिक सहित चालक की तलाश के लिए भी संदिग्ध ठिकानों पर छापेमारी की जा रही है। मामले में संलिप्त दोषियों के खिलाफ मामला दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी।
सनोस्फेयर का बहुत बड़ा है कारोबार
पूर्व में इस कारोबार से जुड़े कारोबारी ने नाम नहीं छापने के शर्त पर बताया कि टीटीपीएस प्लांट से निकलने वाले छाई के साथ बहने वाले तरल पदार्थ जो पानी के ऊपर तैरता हुआ पाया जाता है। सनोस्फेयर कहा जाता है। बताया कि उसको पहले दिहाड़ी मजदूर छानते हैं और झाग रूपी छाई (सनोस्फेयर) माफिया मजदूरों से 10 रुपये प्रति किलोग्राम के दर से उसे खरीद लेते हैं। बताया यह हल्का पदार्थ किसी भी टरबाइन अथवा उससे संबंधित अन्य उपकरणों को बहुत देर गर्म नहीं होने देता है, और पानी में आसानी से तैरता रहता है जिस कारण इसका उपयोग पानी जहाज सहित कई तरह से वैध अवैध कार्यों में किया जाता है। बताया कि ऑनलाइन इसका दर नागपुर में 65 रुपए किलो खरीदा जाता है। जिसका माफिया भरपूर फायदा उठाते हैं। वहीं सरकारी राजस्व की भारी क्षति होती है।
टीटीपीएस कंपनी में नहीं होता इसका टेंडर
कहा कि सनोस्फेयर माफियाओं के फलने फूलने का एक कारण यह भी बताया गया कि भारत सरकार के डीवीसी जैसी कंपनियां इस तरह के मामले में टेंडर प्रक्रिया जारी कर करोड़ों का राजस्व प्राप्त करती है। जबकि टीटीपीएस में उक्त प्रक्रिया न होने के कारण सनोस्फेयर माफियाओं की चांदी और सरकार को राजस्व क्षति का सामना करना पड़ता है।