गढ़वा : जल जाता है वो दिए की तरह, कई जीवन रोशन कर जाता है। कुछ इसी तरह से हर गुरु अपना फर्ज निभाता है। इस कथन को अक्षरशः सत्य किया है राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय झुरा, गढ़वा के शिक्षक बैद्यनाथ उपाध्याय ने। शिक्षक दिवस के शुभ अवसर पर आज हम इन्हीं की चर्चा करने जा रहे हैं जिन्होंने अपने पदस्थापन के 3 वर्ष के भीतर ही उत्क्रमित मध्य विद्यालय झूरा की तस्वीर बदल डाली है।
बैद्यनाथ उपाध्याय अपने सादगी एवं कर्तव्यनिष्ठा के लिए जाने जाते हैं। इनके मृदुभाषी स्वभाव छात्रों एवं अभिभावकों के बीच इन्हें लोकप्रिय बनाता है। ये अभिभावकों से क्षेत्र भ्रमण कर लगातार मिलते हैं और बच्चे के समस्याओं को जानने का प्रयास करते हैं तथा उसका समाधान करने का पुरजोर कोशिश करते हैं।
यदि कोई बच्चे विद्यालय नहीं आते हैं तो उनके अभिभावकों से मिलकर बच्चे के विद्यालय नहीं आने के कारणों का पता लगाते हैं ताकि विद्यालय में बच्चे नियमित रूप से आ सकें। इनके अथक परिश्रम का ही फल है कि आज विद्यालय में बच्चे नियमित रूप से शिक्षण कार्य में लगे हुए हैं तथा पठन-पाठन का कार्य कर रहे हैं वह भी पूरी तरह अनुशासित ढंग से।
इनके अथक मेहनत का ही फल है कि आज जहां अभिभावक पूरी तरह से निजी विद्यालय की ओर अग्रसर हो रहे हैं। अपने बच्चों को निजी विद्यालय में नामांकन कराना चाहते हैं या हम यह कहें कि आज लोगों के बीच अपने बच्चों को निजी विद्यालयों में नामांकन कराने की होड़ लगी हुई है, वहीं झुरा ग्राम के अभिभावक अपने बच्चों का नामांकन निजी विद्यालय से सरकारी विद्यालय में करा रहे हैं।
आज गढ़वा के प्रतिष्ठित निजी विद्यालय के बच्चे का नामांकन निजी विद्यालय से कटवा कर झुरा के सरकारी विद्यालय में लगातार हो रहा है, जो झुरा विद्यालय में पढ़ाई की बदलती हुई तस्वीर की कहानी स्वयं कह रही है।
आठवीं बोर्ड की परीक्षा 2020 में झुरा विद्यालय के बच्चों का शानदार प्रदर्शन भी झुरा विद्यालय में पढ़ाई की बदलती हुई रणनीति के असर को बयां कर रही है। बातचीत के क्रम में शिक्षक बैद्यनाथ उपाध्याय ने कहा कि गुरु शिष्य की पुरानी परंपरा को कायम करना उनका मुख्य उद्देश्य है। उन्होंने कहा कि समाज में आज भी गुरुओं का जगह उच्चतम पायदान पर है। बस आवश्यकता इस बात की है कि गुरु अपने कर्तव्यों का निर्वहन सही ढंग से करें तो समाज में आज भी पहले ही की तरह गुरु की पूजा की जाएगी।
श्री उपाध्याय ने कहा कि वह बच्चों को शिक्षा इस तरह देना चाहते हैं कि उनका पाठ्यक्रम तो पूरा हो ही साथ ही साथ उनके पाठ्यक्रम से संबंधित उनके भावी जिंदगी में यानी जब अपनी नौकरी की तैयारी हेतु प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करेंगे तो उसमें वर्तमान पाठ्यक्रम से जो प्रश्न उस समय पूछे जा सकते हैं उसकी भी जानकारी वह बच्चों को बताते हैं ताकि आगे चलकर बच्चे अपने उद्देश्य में सफल हो सके।
झारखंड के प्रख्यात शिक्षाविद हैं श्री उपाध्याय
बैद्यनाथ उपाध्याय की गिनती झारखंड के गिने-चुने शिक्षाविदों में होती है। अभी तक इन्होंने दर्जनों पुस्तक की रचना की है इनकी पुस्तक छात्रों के बीच काफी लोकप्रिय रही हैं।
गरीब छात्रों के प्रेरणा स्रोत हैं बैद्यनाथ उपाध्याय
बैद्यनाथ उपाध्याय गरीब छात्रों के प्रेरणा स्रोत रहे हैं।
अवकाश के दिनों में गरीब छात्रों को निशुल्क परामर्श देते हैं। आज इनके द्वारा पढ़ाए गए सैकड़ों छात्र राज्य के विभिन्न पदों पर आसीन हैं। शिक्षक दिवस के अवसर पर उन्होंने सभी छात्रों को एक मंत्र दिया है उनका कहना है कि छात्रों को अपने शब्द कोष से असंभव शब्द को निकालना होगा छात्रों को दिमाग में यह बात कभी नहीं आना चाहिए कि हम ये काम नहीं कर सकते क्योंकि हजारों असंभव संभव हो चुके, हजारों असंभव संभव हो चुके एक और असंभव असंभव होगा विचारधारा को मोड़ दो कुछ ना असंभव सब कुछ संभव होगा।