-जिले में ओलंपिक खेल से संबंधित कागज पर डेढ़ दर्जन खेल संघ सक्रिय
-मैदान में छह खेल संघ सक्रिय
गढ़वा : गढ़वा जिला ओलंपिक संघ, जो पिछले एक दशक से जिले में सक्रिय है, अब अपने असल उद्देश्य से भटक चुका है। ओलंपिक संघ का प्रमुख उद्देश्य खेलों का विकास और खिलाड़ियों को मंच प्रदान करना था, लेकिन वर्तमान में यह कर्म पथ के बजाय पद पथ की ओर अग्रसर हो चुका है। इस संघ ने अपने अधीनस्थ खेल संघों के विकास के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए, जिससे जिले में खेलों और खिलाड़ियों की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है।
संघ की प्राथमिकता: खेल नहीं, पद दिलाना :
जिले में ओलंपिक संघ से मान्यता प्राप्त डेढ़ दर्जन से अधिक खेल संघ कार्यरत हैं, लेकिन इनमें से अधिकतर केवल कागजों तक सीमित हैं।
संघ का ध्यान खेल के विकास की जगह अपने मनपसंद लोगों को खेल संघों में पद दिलाने पर केंद्रित है। जिले में केवल छह खेल संघ ही वास्तव में सक्रिय हैं, जबकि बाकी कागजी कार्यवाहियों तक सीमित हैं। सक्रिय संघों को भी ओलंपिक संघ से सहयोग नहीं मिल पा रहा है, जिसके चलते वे सीमित संसाधनों में संघर्ष कर रहे हैं।
गढ़वा में दो-दो इनडोर स्टेडियम, फिर भी खिलाड़ी प्रैक्टिस से वंचित :
गढ़वा में दो प्रमुख इनडोर स्टेडियम रामासाहु इनडोर स्टेडियम और शिबू सोरेन इनडोर स्टेडियम हैं। इसके बावजूद, खिलाड़ियों को इन सुविधाओं का पूर्ण लाभ नहीं मिल पा रहा है। रामासाहु इनडोर स्टेडियम में कुश्ती के खिलाड़ी किसी तरह अभ्यास कर रहे हैं, जबकि शिबू सोरेन स्टेडियम पर बैडमिंटन संघ का कब्जा है।
वहाँ भी सिर्फ सिंगल कोर्ट है, जिससे बहुत खिलाड़ी अभ्यास से वंचित रह जाते हैं। इस स्टेडियम के अधिकांश हिस्सों को गोदाम बना दिया गया था, जो खेल के प्रति प्रशासन की उदासीनता को दर्शाता है।
खेल संघों की दुर्दशा: खिलाड़ी नहीं, कागजों में सक्रिय संघ :
गढ़वा जिले में डेढ़ दर्जन से अधिक खेल संघ हैं, जिनमें से अधिकांश के पास खिलाड़ियों की कमी है। कुछ संघ केवल नाममात्र के लिए कागजों में सक्रिय हैं, जबकि जमीनी स्तर पर उनका कोई अस्तित्व नहीं है। ऐसे हालात में खेल और खिलाड़ियों का विकास कैसे संभव हो पाएगा, यह एक गंभीर चिंता का विषय है।
कुछ खेल संघ कर रहे हैं संघर्ष :
जिले में एथलेटिक्स, कुश्ती और वॉलीबॉल संघों का डे बोर्डिंग सेंटर संचालित हो रहा है, जहां खिलाड़ियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
इन खेलों के लिए कोच भी नियुक्त किए गए हैं, लेकिन इनकी संख्या और संसाधन सीमित हैं। इसके बावजूद, ये संघ अपने स्तर पर खेलों को आगे बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं।
गढ़वा में खेलों का भविष्य संकट में :
जिले में एथलेटिक्स, फुटबॉल, टेबल टेनिस, हॉकी, कबड्डी, बैडमिंटन, कुश्ती, बॉक्सिंग, तैराकी, साइकिलिंग, नौकायन, योगा, वॉलीबॉल, बास्केटबॉल, राइफल, तलवारबाजी, तीरंदाजी और खो-खो सहित कई खेल संघ हैं, लेकिन इनमें से अधिकांश निष्क्रिय हैं। जो संघ सक्रिय हैं, वे भी बिना पर्याप्त संसाधनों के संघर्ष कर रहे हैं।