गोमिया। एकीकृत बिहार राज्य में देश की आजादी के बाद आदिवासियों की आदिवासियों की कुल जनसंख्या 70% थी, लेकिन वर्तमान में झारखंड राज्य में अभी आदिवासियों की संख्या घटकर 25% रह गई है जो चिंताजनक है। उक्त बातें आदिवासी सेंगल अभियान के केंद्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने शुक्रवार को खम्हरा पंचायत के सचिवालय परिसर में सरना धर्म कोड को लेकर लेकर एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा। उन्होंने कहा कि झारखंड राज्य में आदिवासियों और मूलवासियों ने अलग सरना धर्म कोड की मांग को मजबूती से उठाना शुरू किया है। सभी आदिवासियों को एकजुट होकर सरना धर्म कोड बनाने को लेकर राज्य व केंद्र सरकार पर दबाव बनाने के लिए आंदोलित होना होगा। कहा कि ऐसा नहीं करने पर आदिवासियों का इस देश से नामो निशान मिट जाएगा। कहा कि राज्य व केंद्र स्तर पर बैठे आदिवासियों को शिर्ष नेता, सांसद, विधायक और मंत्री चुनाव जीतने के बाद सरना धर्म कोड को लेकर अति संवेदनशील नहीं रहते हैं, जिसके कारण सरना धर्म कोड को आज तक कानूनी मान्यता नहीं मिल सकी है। इसके लिए आने वाले समय में और जोरदार आंदोलन चलाया जाएगा। जिसमें सभी आदिवासी, संथाली, मुंडा, उरांव समेत सभी को अपनी भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी। सभा को आदिवासी सेंगल अभियान के प्रदेश अध्यक्ष देवनारायण मुर्मू, खम्हरा पंचायत के पूर्व मुखिया बंटी उरांव, पूर्व प्रमुख कांति उरांव, प्रखंड अध्यक्ष सुशील मांझी, अविनाश मुर्मू, ललिता सुरेन, ललिता सुरेन, उलेश्वरी हेंब्रम सुरेश कुमार टुडू आदि ने भी संबोधित किया।