हजारीबाग में भू-माफिया और अंचल कार्यालय व रजिस्ट्री विभाग की मिलीभगत के मामले सामने आ रहे हैं। नया मामला कुछ दिन पूर्व रजिस्ट्री विभाग में सामने आया है।
रजिस्ट्री कार्यालय ने पूर्व में रेलवे, रिंग रोड व नहर में गई जमीन को भी बेच देने का काम किया। हैरत तो यह है कि रेलवे व नहर में गई जमीन के विरुद्ध भू मालिक को मुआवजा भी दिया जा चुका है, लेकिन हड़बड़ी और गड़बड़ी के कारण इसका ध्यान भी विभाग के कर्मी व अधिकारी नहीं रख पा रहे हैं।
इस संबंध में श्वेता कुमारी एवं शालिनी ने उपायुक्त को ज्ञापन देकर बताया है कि खाता नंबर 251 प्लाॅट नंबर 1196 एवं 1204 की 29 डिसमिल जमीन रेलवे व रिंग रोड को जबकि 6 डिसमिल जमीन नहर के लिए अधिग्रहित की गई है।
उपरोक्त जमीन के साथ ही उनकी करीब 2 एकड़ 66 डिसमिल जमीन की रजिस्ट्री विभाग ने कर दी
हालांकि उनके द्वारा यह भी कहा गया कि इस मामले में उन्हें दीपक सिंह व विजय बरनवाल ने जमीन रजिस्ट्री करने के एवज में एक भी रुपये नहीं दिया।
उपायुक्त को सौंपे गए ज्ञापन में कहा गया है कि दीपक सिंह व विजय बरनवाल ने उनके साथ विश्वास जमाकर गलत तरीके से पावर ऑफ एटर्नी लिया और बिना सूचना दिए एवं जमीन का पैसा दिए जमीन बेच दिया।
इस मामले में अंचल कार्यालय से लेकर रजिस्ट्री कार्यालय के अधिकारियों व कर्मियों की मिलीभगत का आरोप भी महिलाओं ने लगाया है।
कहा गया है कि आम तौर पर पांच दस डिसमिल जमीन का एलपीसी बनाने में लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है और महीनों लग जाते हैं, लेकिन उनके परदादा छेदी महतो (दिवंगत) के नाम से एलपीसी एक सप्ताह के अंदर बना दिया गया।