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सरना कोड लागू करने की मांग को लेकर गोमिया में सैकड़ों की संख्या में सड़क पर उतरे आदिवासी, विधिव्यवस्था को लेकर पुलिस रही मुस्तैद

location_on Gomia access_time 31-Jan-21, 03:38 PM

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गोमिया। आदिवासी सेंगेल अभियान (ASA) गोमिया प्रखंड कमिटी के तत्वाधान में सरना कोड लागू करने की मांग को लेकर 31 जनवरी को सैकड़ों की संख्या में आदिवासी ग्रामीण महिला, पुरूष, युवा रेल-रोड चक्का जाम करने सड़क पर उतरे। इस दौरान बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात थी। गोमिया प्रखंड अंतर्गत खम्हरा पंचायत के शहरटोला पंचायत भवन से आदिवासी ग्रामीणों की पदयात्रा की शुरुआत हुई, जो पीएमएस, आईईएल गेट, बैंक मोड़, रेलवे क्रोसिंग होते हुए गोमिया पोस्ट ऑफिस मोड़ पहुंची और बृहद रूप ले लिया। अपनी मांगों के समर्थन में लिखी तख्तियों को लहराते हुए पूरे चौक को जाम कर सरना धर्म कोड की मांग और केंद्र सरकार विरोधी नारे लगाए। इस दौरान सभी तरफ वाहनों की लंबी कतारें लग जाने से सड़क पर विधिव्यवस्था को उतरी गोमिया पुलिस को भी फजीहत का सामना करना पड़ा। आदिवासी सेंगल अभियान गोमिया प्रखंड कमिटी के अध्यक्ष ने कहा कि आदिवासी वर्षों से अपनी संस्कृति और परंपरा को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। वह हर हाल में 2021 की जनगणना में सरना धर्म कोड चाहते हैं। इसलिए आज झारखंड सहित अन्य राज्यों में एक दिवसीय राष्ट्रव्यापी रेल-रोड चक्का जाम आंदोलन सह प्रदर्शन किया जा रहा है। कहा कि सरना सामुदाय की आबादी पुरे देश में 15-20 करोड़ की है। 2021 की जनगणना में आदिवासियों को अलग सरना धर्म कोड की व्यवस्था करने की मांग झारखंड के आदिवासी कर रहे हैं। अब तक सरना धर्म कोड को मान्यता नहीं मिलने से ये नाराज हैं। उन्होंने कहा कि झारखंड विधानसभा से पारित होने के बाद इसे केंद्र सरकार को भेज दिया गया, केंद्र सरकार से इसे बार-बार आग्रह करने के बाद भी इसे अब तक लागू नहीं किया गया। इसीलिए प्रदर्शन का रास्ता अख्तियार कर ये रेल-रोड चक्का जाम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि झारखंड के बीस वर्ष के इतिहास में पहली बार सरना कोड को लेकर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया था। झारखंड विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान संशोधन के बाद सरना आदिवासी धर्म कोड का प्रस्ताव पारित हो गया। अब इस पारित प्रस्ताव को केंद्र सरकार को भेजा गया। झारखंड के आदिवासियों की ये प्रमुख मांग थी और इसके लिए पूर्व में आंदोलन भी किए गए थे। उन्होंने कहा कि आदिवासियों को सरना धर्म कोड मिलने से देशभर में अच्छा संदेश जायेगा। कहा कि जनसंख्या में कमी के कारण झारखंड के आदिवासियों को मिलनेवाले संवैधानिक अधिकारों पर असर पड़ता है। कहा कि झारखंड के आधिवासियों को सरना धर्म कोड मिल जाने के बाद इन्हें कई फायदे मिलेंगे। इस दौरान कार्यक्रम को कमिटी की प्रखंड महिला अध्यक्ष रोशनी कुमारी मुर्मू, प्रखंड संयोजक शिवचंद्र मुर्मू, सेंगल राइटर (प्रचारक) बीरेंद्र बास्के, पंचायत संयोजक लीलावती देवी ने भी संबोधित किया। प्रदर्शनकारियों में मुख्य रूप से बुधन टुडू, छोटेलाल हांसदा, रामकुमार मराण्डी, अमित टुडू, बहादुर हांसदा, पूरन सोरेन, संझुल हांसदा आदि मौजूद थे।



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