गोमिया। रांची का शातिर ठग अगिन्द्र मंडल उर्फ अभि कुमार को रिमांड में लेकर पूछताछ की निशानदेही पर गोमिया पुलिस ने बीती रात्रि बड़ी कार्रवाई करते हुए गोमिया से ठगी किया गया स्विफ्ट डिजायर कार को रांची के रातूचट्टी से बरामद कर गोमिया ले आई है।
बता दें गोमिया के गैरमजरूआ बस्ती निवासी कुलदीप प्रजापति रांची के चिरौंधी निवासी अगिन्द्र मंडल के विरुद्ध दोस्ती कर डिजायर कार ठगी कर फरार होने का मामला 69/20 दर्ज कराया था। अनुसंधान कर रही गोमिया पुलिस ने तकनीकी सहायता से पटना के पत्रकार नगर थाना क्षेत्र के संजय गांधी नगर से शातिर ठग को बीते 23 जनवरी को गिरफ्तार कर गोमिया लाई और तेनुघाट जेल भेज दिया था। जिसके बाद गोमिया पुलिस ने बुधवार को पूछताछ के लिए अग्रेंद्र मंडल को तेनुघाट कोर्ट से 24 घंटे का रिमांड लिया था और पूछताछ की निशानदेही पर रांची से उक्त चोरी गई डिजायर कार को बरामद कर गोमिया थाना ले आई। बता दें अग्रेद्र मंडल शातिर ठग है, प्रभाव बनाने के लिए ठगी के कार में आईबी (इंटेलिजेंस ब्यूरो) का बोर्ड लगाकर घूमता था और रांची के चीरोंधी टैगोर हिल में किराए के मकान में रहकर व कार्यालय खोलकर ठगी का पूरा कारोबार चलाता था।
रिमांड के दौरान कई खुलासे
बुधवार की रिमांड में शातिर ठग ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए जिसमें कई ठगी की बड़ी-बड़ी घटना को अंजाम देकर महीनों तक कभी जेल काटी कभी फरार रहा।
बताया कि वह शुरू से सपरिवार दिल्ली में रहता था जहां क्लास पांचवीं से लेकर एमसीए तक की पढ़ाई पूरी की। 2013 में वह रांची अपने रिश्तेदार के यहां रहकर बैंक में नौकरी करने लगा। नौकरी के दौरान ही वह रामगढ़ बैंक में पोस्टिंग हुआ। वह रामगढ़ में प्रमोद महतो के मकान में रहा इसी दौरान उसने मकान मालिक महतो को कम्प्यूटर का बिजनेस में भारी मुनाफा का प्रलोभन देकर पैसे का इन्वेस्ट कराया और ठगी की। मकान मालिक द्वारा रामगढ़ थाने में मामला दर्ज कराने के बाद वह जेल भी गया। बताया कि पुनः जेल से बाहर आने के बाद वह रांची विकास में एके ऑर्गनाइजेशन कम्प्यूटर सेल एंड सर्विस खोला और वहीं के सुभाष साहू के मकान में किराए पर रहने लगा। सुभाष साहू के साथ दोस्ती बढाई और कंपनी के फायदे बताकर 31 लाख का लिया। इसके बाद जमीन कारोबार के नाम पर रांची के रातूचट्टी निवासी विनोद चौबे से 2 लाख 24 हजार रुपये लिए।
ठग ने कुलदीप प्रजापति के स्विफ्ट डिजायर मामले में नए खुलासे करते हुए बताया कि डिजायर मालिक प्रजापति 18 हजार प्रतिमाह की दर से मुझे गाड़ी दिए हुए थे। जिसे मैं आईबी अधिकारी का बोर्ड लगाकर ऑफिस आते थे, जिससे लोग मुझे पॉवरफुल समझते थे और मैं इसका फायदा उठाता था। एक माह बाद ही मैं अधिक धनलोभ में रांची छोड़ने का फैसला किया। स्विफ्ट डिजायर को आने पहचान के रातूचट्टी के चंदन कुमार के यहां खड़ा कर दिया उसे कहा कि मैं जब आऊंगा तो इसे ले जाऊंगा। इसके बाद मैं अपनी पत्नी के साथ पटना संजय गांधी नगर में रहने लगा। जहां से पुलिस ने मुझे गिरफ्तार किया। जांच अधिकारी अरविंद कुमार शर्मा ने बताया कि अगिन्द्र के खिलाफ सूबे में कई थाना रामगढ़, ओरमांझी, रजरप्पा में इनके विरूद्ध ठगी के बड़े बड़े कई मामले दर्ज हैं वहीं पूर्व में ठगी मामले में जेल भी जा चुका है। गुरुवार को पुनः इसे मेडिकल के बाद तेनुघाट उपकारा भेज दिया गया है।
इसके ग्रुप में कई लोग शामिल थे। मैनेजर का कार्य करने वाला पीयूष सिंह उर्फ मो संजर ठगी के मामले में पूर्व में ही आत्मसमर्पण कर दिया था जो फिलहाल जमानत में बाहर है।