चतरोचट्टी। वन विभाग का कार्य क्या वन संरक्षण, पेड़ पौधे लगाना या हाथियों को भगाना ही है या उनके द्वारा हुए कार्यो का आंकलन व निरीक्षण करना भी होता है। आए दिन कहीं न कहीं से इस विभाग की जिस तरह से लापरवाहियों अनियमितताओं व गैर दिलचस्पी के मामले उजागर होते हैं। उससे लगता नहीं कि हजारों लाखों में सरकारी खजाने से वेतन के रूप में धन संचय करने वाले प्रदेश, जिला, उपमंडल के तमाम अधिकारी हुए कार्यो का निरीक्षण करने में अपनी ईमानदारी दिखाने की जिम्मेदारी समझते हैं। विभाग की ऐसी ही लापरवाही व गैर दिलचस्पी का मामला गोमिया-विष्णुगढ़ मुख्य मार्ग पर प्रकाश में आया है। इस मार्ग पर करमाटांड़ मध्य विद्यालय के पास वन विभाग ने एक साइन बोर्ड लगाया गया है। जिसपर समेकित जलछाजन प्रबंधन कार्यक्रम 1WMP-V/2013-14 परियोजना क्षेत्र गोमिया, PIA वन प्रमंडल पदाधिकारी बोकारो सहित तेनुघाट वन प्रक्षेत्र पदाधिकारी का मोबाइल नंबर भी अंकित है।
हैरानी है कि 2013-14 में वन विभाग द्वारा लगे उक्त साइन बोर्ड में झारखंड सरकार का तत्कालीन लोगो
गलत ढंग से उल्टा लगाया गया है। हालांकि यह कहकर विभाग पल्ला झाड़ ले कि अब झारखंड सरकार का लोगो 15 अगस्त 2020 से बदल गया है तो अलग बात है।
वास्तव में उक्त लोगो उल्टा होना चाहिए। प्रश्न यही नहीं कि एक गलत साइन बोर्ड लगे लोगो से कुछ फर्क पड़ता है, बल्कि इससे बड़ा विषय यह है कि इस मार्ग से गुजरते विभागीय अधिकारी कर्मचारी सब इस बोर्ड पर पूरी मजबूती से खड़ी गलती पर मात्र अपनी हंसी के चेहरे घुमाने तक ही जिम्मेदारी रखते हैं।
उल्लेखनीय है कि विभाग को फजीहत करने में जिम्मेदार चेहरों के खिलाफ कोई प्रशासनिक कानूनी कार्रवाई हो ऐसे सुखद पहलू भी कभी प्रकाश में नहीं आया है। काफी लोगों ने कहा कि वास्तव में वन विभाग अब एक लापरवाहियों का विभाग बन गया है।