गोमिया। पापी पेट और गरीबी आदमी को क्या नहीं करने को मजबूर कर देती है। इसका ताजा उदाहरण आजकल गोमिया की सड़कों पर सरेआम देखने को मिल रहा है। स्कूल जाने की उम्र में एक छोटी बच्ची अपने पेट की आग को बुझाने के लिए दो बासों के बीच झूलते एक रस्से पर चलकर लोगों का मनोरजन करती है। उक्त लड़की ने उस समय दर्शकों की खूब तालिया बटोरी जब उसने सिर पर कई लुटिया रखकर कभी खाली पांव, कभी चप्पल पहनकर तो कभी साइकिल के चक्के पर तो कभी घुटनों में खाना खाने की थाली फंसाकर रस्सी पर चलने का करतब दिखाया।
लड़की के भाई संतोष नट ने बताया कि वह छत्तीसगढ़ के रायगढ़ का रहने वाला है। वक्त की मार से लड़कर अपने परिवार का गुजारा चला रहा है। उसने बताया कि गरीबी के चलते उसे अपनी बहन से जोखिम से भरे ऐसे करतब करवाने पड़ रहे है। जबकि उसका भी मन करता है कि वह अपने बहन को उच्च शिक्षा दिलवाकर उन्हे कुछ बना सके। लेकिन, वह इतना गरीब है कि अपने बच्चों को पढ़ाने में तो असमर्थ है ही, अलबत्ता लोगों को करतब दिखाने से उसे जो रुपया मिलता है, उससे ही वह अपने परिवार का पालन-पोषण कर रहा है। कहा कि किसका मन करता है कि वह अपने छोटे-छोटे बच्चों से ऐसे जोखिम भरे खेल करवाकर उनकी जिन्दगी को दाव पर लगाए। लेकिन गरीबी ऐसी चीज है, जो व्यक्ति को कुछ भी करने के लिए मजबूर कर देती है।
उसने बताया कि उसकी 8 वर्षीय बहन चांदनी द्वारा लोगों को खेल दिखाकर यदि कुछ मिल जाता है, तो वह उससे ही अपने परिवारक भरण पोषण कर पाता है। उसने बताया कि अब यही उसका धंधा बन चुका है, जिसे सारे परिवार ने दिल से स्वीकार कर लिया है क्योंकि उनके पास इससे ज्यादा करने के लिए कुछ है भी तो नहीं।