गोमिया। गोमिया प्रखंड के अति उग्रवादग्रस्त सिंयारी पंचायत के आदिवासी बहुल धमधरवा ग्राम निवासी 55 वर्षीय ढेनाराम मांझी कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी से पीड़ित है, आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण इलाज कराना परिजनों पर भारी पड़ रहा है। दवा के अभाव में वह कभी भी दम तोड़ सकता है, अब परिजनों को सरकारी मदद की दरकार है।
उल्लेखनीय है कि ढेनाराम उम्र 55 वर्ष लगभग 2 माह से पीड़ित है। आर्थिक तंगी के कारण दवा न हो पाने से उसके और उसके परिवार पर विपत्ति का पहाड़ टूट गया है। पीड़ित की पत्नी छोटकी देवी अपने पति के इलाज के लिए इधर उधर भटक रही है। पैसे के अभाव में पत्नी ने अपने मवेशी तक को बेच दिया है, उसे अब खाने व जीविका चलाने को लाले पड़ रहे हैं। पीड़ित के दो पुत्र क्रमशः बालदेव बेसरा व रामदेव बेसरा और दो बहुएं हैं।
कैंसर पीड़ित के पुत्र बालदेव बताते हैं कि उनके पिता भी परिवार का भरण पोषण के लिए मजदूरी का कार्य करते थे। किन्तु अचानक बीमारी के कारण उसके परिवार के सामने बड़ा संकट खड़ा हो गया है। बताया कि बचे पैसे से रांची, बोकारो जैसे जगहों में इलाज भी कराए, पैसे खत्म हुए तो बीमारी ठीक करने के लिए गाय व बैलों को भी बेच दिया। पुत्र ने बताया कि उनके पिता का इलाज रांची के किसी निजी कैंसर अस्पताल में चल रहा था। पिछले 20 जुलाई को इलाज के लिए बोकारो सिविल सर्जन से इलाज के लिए मुख्यमंत्री असाध्य रोग निधि उपलब्ध कराने के लिए बिल दिया गया। वे खुद तीन से चार बार बोकारो जाकर फंड के लिए गुहार लगा चुके हैं लेकिन मुख्यमंत्री असाध्य रोग ग्रसित मामलेमें फंड की अनुपलब्धता बताकर बिल को अब तक स्वीकृत नहीं किया गया है। बताया कि उनके पास आयुष्मान कार्ड भी उपलब्ध है बावजूद इसके चिकित्सकों का कहना है कि आयुष्मान कार्ड से कैंसर का इलाज नहीं होता है। इलाज के लिए मुख्यमंत्री द्वारा आसाध्य रोग निधि से फंड उपलब्ध कराने की बात कही गई है। बीमार ढेनाराम के बिस्तर पकड़ लेने के कारण पत्नी छोटकी व पुत्र बालदेव व रामदेव अपने पिता को अच्छे चिकित्सकों के पास दिखाने को लेकर परेशान है। किन्तु मजबूरी के कारण वह कहीं भी ले जा पाने में असमर्थ है। उसे सरकारी सहायता की अति आवश्कता है।