गोमिया। गोमिया प्रखंड कार्यालय परिसर में सोमवार को पशुपालन व सहकारिता विभाग की ओंर से मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना के तहत चार बकरी व एक बकरा वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें प्रखंड के सुदूरवर्ती क्षेत्र तिलैया, पचमो, झुमरा पहाड़, बड़की पुन्नू, कर्रीखुर्द, तुलबुल, सिंयारी, दारीदाग गांव के दो दर्जन लाभुक पहुंचे थे। लाभुकों ने वितरण की जा रही बकरियों की स्थिति देख योजना का लाभ को लेने से साफ इनकार कर दिया और संबंधित विभाग को खूब खरी खोटी सुनाई।
मौके पर मौजूद गोमिया प्रखंड प्रमुख गुलाब चंद्र हांसदा ने बताया कि प्रखंड के गरीब महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना के तहत अच्छे नस्ल के चार-चार बकरी और एक बकरे का वितरण करना था। बताया कि लाभुकों को बुलाकर पशुपालन पदाधिकारी डॉ. सुरेश प्रसाद के नेतृत्व में जब भेंडर व सप्लायर द्वारा उक्त बकरी और बकरे का वितरण किया जाने लगा तो लाभुकों ने बकरी और बकरे को निम्नस्तर व बीमारू रहने की बात कही और बकरियों को लेने से इनकार कर दिया।
मौके पर पहुंचे तिलैया के लाभुक चंदन उरांव ने बताया कि पशुधन योजना से मानक के अनुकूल बकरी व बकरों का वितरण नहीं किया जा रहा था सप्लायर द्वारा वितरण के लिए लाए गए अधिकांश बकरियां गाड़ी में हीं मर चुकी थी, जबकि कुछेक बीमा, अधमरी व निम्न नस्ल की बकरी थी। बताया कि बीमार बकरियों को ले जाने से घरेलू जानवर भी इसके संक्रमण में आएंगे और वह भी बीमार हो जाएंगी। जिस कारण उन्होंने बकरियों को लेने से इनकार किया।
वहीं लाभुक कौशिल्या देवी और कैलाश कुमार महतो ने संयुक्त रुओ से बताया कि सुदूरवर्ती गांवों से 1,500-2,000 की राशि खर्च कर गाड़ी लेकर वे प्रखंड कार्यालय पहुंचे थे, लेकिन विभाग योजना के नाम पर केवल खाना पूर्ति कर रही थी जिसका मौजूद लाभुकों ने विरोध कर दिया। बताया कि एक भी बकरी व बकरा ठीक-ठाक व उच्च नस्ल के नहीं थे जिसे रखा जा सकता है। बताया कि कुछ लाभुकों को 90 फीसदी तो कुछ को 50 फीसदी अनुदानित दर पर उन्नत नस्ल की चार बकरी व एक बकरा दिया जाना था। जो 10 फीसदी राशि लाभुक स्वयं अंशदान के रूप में जमा की थी। लाभुक द्वय ने निम्न स्तर व बीमारू बूढ़ी बकरी रहने पर नाराजगी जताई और सप्लायर व भेंडर को फटकार लगाई।
वहीं हो रहे विवाद को देखते हुए भेंडर व सप्लायर को उक्त बकरी-बकरे भरे वाहन को वापस ले जाना पड़ा।
लाभिकों के बैरंग लौटने के विषय पर पूछे जाने पर प्रखण्ड पशु पालन पदाधिकारी डॉ. सुरेश प्रसाद ने भी लाभुकों के बकरी और बकरे को नहीं लेने की पुष्टि की है। कहा कि उन्हें बकरी पसंद नहीं आई। जिस कारण बकरी वह नहीं लिये। बाद में सरकार द्वारा निर्धारित नस्ल के बकरी को उन लाभुकों को दी जाएगी।