गोमिया। गोमिया नगर परिषद का अस्तित्व खत्म करने की मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की घोषणा को यहां आठ राजस्व गांवो के एक बड़े तबके में ग्रामीण, पंचायत प्रतिनिधि व व्यवसायी वर्ग ने स्वागत किया है। बता दें कि गोमिया नगर परिषद का गठन झारखंड की तत्कालीन भाजपा सरकार ने वर्ष 2018 में किया था, जिसमें गोमिया, पलिहारी गुरूडीह, स्वांग उत्तरी, स्वांग दक्षिणी, ससबेड़ा पूर्वी, ससबेड़ा पश्चिमी एवं खम्हरा पंचायत को शामिल कर नगर परिषद का गठन किया गया था। यहाँ की कुल जनसंख्या 48 हजार 100 थी।
नगर परिषद का गठन होने के कुछ दिनों के बाद हीं यहां पंचायत प्रतिनिधियों एवं ग्रामीणों ने विरोध करना शुरू कर दिया था, उनका कहना था कि अभी उक्त पंचायतों के ग्रामीण आर्थिक दृष्टिकोण से काफी पिछड़े हैं, नगर परिषद के गठन से ग्रामीणों पर होल्डिंग टैक्स सहित अन्य करों का बोझ अनावश्यक रूप से पड़ेगा और उन्हें मानसिक यातना सहना पड़ेगा। वर्ष 2018 के नगर परिषद के गठन की घोषणा होते ही यहां के पंचायत प्रतिनिधियों और ग्रामीण धरना प्रदर्शन कर इसका विरोध करने लगे यहां तक कि गोमिया के पूर्व विधायक माधवलाल सिंह, पूर्व विधायक योगेंद्र प्रसाद, गोमिया के वर्तमान विधायक डॉ. लंबोदर महतो ने भी अपने अपने स्तर से इस नगर परिषद का विरोध करना शुरू कर दिया। विधायक डॉ. महतो ने उच्च न्यायालय रांची में नगर परिषद के खिलाफ रिट याचिका भी दायर कर दी, वहीं गोमिया के पूर्व विधायक भी झारखंड के मुख्यमंत्री से गोमिया नगर परिषद के गठन को रद्द करने की मांग को रखा तत्पश्चात एक लंबी प्रशासनिक प्रक्रिया और आम जनता के मंतव्य लेने के बाद गोमिया नगर परिषद के गठन को झारखंड के मुख्यमंत्री ने इसका अस्तित्व खत्म करने की घोषणा की। जिसका यहां के ग्रामीणों ने चौतरफा स्वागत करते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का शुक्रिया अदा किया है।
क्या कहते हैं लोग ?
गोमिया के सूरज कुमार कहते हैं कि उक्त घोषित सभी राजस्व ग्रामों के लोग अभी भी दिहाड़ी मजदूरी करने को विवश हैं वहीँ बड़ी संख्या में लोग पलायन के शिकार हुए हैं। सूबे के मुख्यमंत्री द्वारा नए साल में यह ग्रामीणों के लिए एक तोहफा से कम नहीं है।
कोठीटांड के अमित पासवान का कहना है कि मुख्यमंत्री का फैसला जनहित में स्वागत योग्य है यहाँ के निवासी अनावश्यक टैक्स के बोझ से बचेंगे।
हजारी के सुरेश पासवान ने बताया कि यहां के ग्रामीणों व जनप्रतिनिधियों की लड़ाई रंग लाइ है, यहाँ सीसीएल व ओरिका जैसी कंपनी भी रोजगार दे पाने में सक्षम नहीं है बेरोजगारी बढ़ी है।