गोमिया। साल 2020 में बोकारो जिले के जिन थाना क्षेत्रों में सबसे ज्यादा अपराध कायम हुए हैं। अपराध रिकॉर्ड में जिन टॉप तीन थानों का नाम सामने आया, उनमें पहले नंबर पर चास थाना, दूसरे पर बोकारो स्टील सिटी थाना और तीसरे नंबर पर बालीडीह थाना है। इन थानों में पिछले साल सबसे ज्यादा अपराध के मामले दर्ज किए गए हैं, वहीँ एक मात्र महिला एवं बाल संरक्षण थाना बेरमो ही ऐसा है जहाँ पुरे साल में महज 3 ही मामले दर्ज किए गए।
कहां कितनी एफआईआर दर्ज ?
पीएचक्यू से मिले जवाब के अनुसार, बोकारो के चास थाने में 296, बोकारो स्टील सिटी थाने में 278 और बालीडीह में 275 आईपीसी के आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं। इनके अलावा टॉप पांच कि बात करें तो चौथे नंबर पर बेरमो थाने में 260 व पांचवें नंबर पर हैं जरीडीह थाना जहाँ 221 एफआईआर लिखी गईं।
जबकि टॉप 10 में ये हैं !
1. चास थाने में 296
2. बोकारो स्टील सिटी थाने में 278
3. बालीडीह थाने में 275
4. बेरमो थाने में 260
5. जरीडीह थाना में 221
6. पिंड्राजोरा थाना में 219
7. पेटरवार थाना में 208
8. चंदनकियारी थाना में 207
9. हरला थाना में 179
10. बोकारो थर्मल थाना 161
इसके बाद फिर नंबर आता है जिले के सेक्टर- 4 थाने का यहां 159, गोमिया थाना 143, चास मुफ्फिसिल थाना यहां 142, चंद्रपुरा थाना 141, कसमार थाना 130, सेक्टर- 12 थाना में 121, नवाडीह थाना में 107, सियालजोरी थाना में 79, दुग्धा थाना में 78, माराफारी थाना में 76, पेंक नारायणपुर थाना में 68, महिला थाना बोकारो और महुआटांड थाना में 59, सेक्टर- 6 थाना में 56, चतरोचट्टी थाना में 48, अब नंबर आता है एसटी एससी थाना का यहां बीते एक साल में 45 केस दर्ज किए गए। इसीप्रकार महिला एवं बाल संरक्षण थाना चास एवं आईईएल थाना में 32, जागेश्वर बिहार थाना में 22 तो वहीँ महिला एवं बाल संरक्षण थाना बेरमो में महज 3 ही आपराधिक मामले दर्ज किए गए।
जानकारी के मुताबिक जिले के आठ थानों में आंकड़ा 200 के पार वहीँ नौ थाने ऐसे हैं जहां 100 के पार मामले दर्ज हैं जबकि बारह थाने ऐसे हैं जहां 10 से ऊपर और 100 कम मामले दर्ज किए हैं जबकि एक थाना महिला एवं बाल संरक्षण थाना बेरमो ऐसा है जहाँ पुरे साल में महज 3 ही आईपीसी की विभिन्न धाराओं में एफआईआर दर्ज हुई हैं।
बाकी ऐसे थाना जो ओपी की संज्ञा प्राप्त है उन्हें इस आंकड़े से बाहर रखा गया है। इस बारे में कुछ प्रशासनिक अधिकारीयों का कहना है कि 100 नंबर पर जैसे ही सूचना मिलती है या ऑनलाइन कोई भी शिकायत मिलती है तो वैसी स्थिति में भी मुकदमा दर्ज किया जाता है। उसके बाद उसकी जांच की जाती है। बताया कि अधिकांशत: ऑनलाइन के मामले या माननीय कोर्ट से फाइल मामले के आधार पर इनकी सख्या बढ़ सकती हैं।