गोमिया। तेनुघाट विद्युत निगम लिमिटेड (टीवीएनएल) का झारखंड ऊर्जा उत्पादन निगम लिमिटेड (जेयूयूएनएल) में विलय एक सोंची समझी रणनीति के तहत टीवीएनएल से सभी ठेका-पतरी पर एकाधिकार, बाहरी बड़ी कंपनी को यहां सक्रिय करने सहित स्थानीय संवेदकों को बाहर करने का बहुत बड़ा षड्यंत्र है। उक्त बातें तेनुघाट विद्युत मजदूर यूनियन के महामंत्री बाबुली सोरेन ने ललपनिया स्थित यूनियन कार्यालय में आयोजित प्रेसवार्ता में पत्रकारों को संबोधित करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि सूबे के मुख्यमंत्री के निर्देशों की अवहेलना कर ऊर्जा सचिव अपना निजी स्वार्थ साधने पर आमादा हैं। कहा कि टीटीपीएस परियोजना का वर्तमान उत्पादन क्षमता 420 मेगावाट है और द्वितीय चरण में 1 हजार 320 मेगावाट विस्तारीकरण प्रस्तावित है। यह परियोजना लगभग 25 वर्षों से अधिक पुरानी हो चुकी है और हमारी यूनियन और यहां के विस्थापित लगातार विस्तारीकरण की मांग पत्राचार के माध्यम से सरकार से करते आ रहे हैं। उन्होंने झारखण्ड के प्रधान ऊर्जा सचिव सह टीवीएनएल के अध्यक्ष पर मुख्यमंत्री के निर्देशों को दरकिनार कर आम जन-भावना के विरूद्ध कार्य कर आरोप लगाया।
यूनियन के महामंत्री सोरेन ने आगे कहा कि पहले 25 जून को मुख्यमंत्री ने ऊर्जा विभाग की समीक्षा की और टीवीएनएल को राज्य का एकमात्र बिजली प्लांट बताते हुए तेनुघाट थर्मल पावर स्टेशन की विस्तारीकरण के लिए एक विशेषज्ञ कमिटि गठित कर रिपोर्ट पर विस्तारीकरण की बात कही। उसके बाद दिनांक 1 जुलाई को बतौर टीवीएनएल के अध्यक्ष सह ऊर्जा सचिव द्वारा दस सदस्यीय टीम के साथ टीटीपीएस का पहली बार दौरा कर और उच्च स्तरीय समीक्षा की। बताया कि अध्यक्ष सह ऊर्जा सचिव की समीक्षा में विस्तारीकरण पर जोर न देकर सिर्फ पूरानी यूनिट को कम खर्च पर चलाने पर बल दिया गया वहीं कंपनी मेन पावर कम करने, AMC , समानों का क्रय विक्रय एजेंसी और टेंडर प्रक्रिया आदि विषयों पर रिपोर्ट बनाई गई।
उन्होंने कहा कि इससे यह स्पष्ट होता है कि ऊर्जा सचिव ने टीटीपीएस के विस्तारीकरण ज्यादा ध्यान ठेका-पतरी आदि कार्यों पर दे रहे हैं। बताया कि 10 सदस्यीय टीम के समीक्षा बाबत निराशाजनक दौरे के बाद से यह बाते सिद्ध होने लगी की एक ओंर जहां मुख्यमंत्री टीटीपीएस का विस्तारीकरण करना
चाहते हैं और एक्सपर्ट कमिटि बनाने का निर्देश देते हैं। वहीं दूसरी ओर ऊर्जा सचिव एक्सपर्ट कमिटि न
बनाकर ऐसी कमिटि बनाये हैं जो टीटीपीएस के खामियों को खोजने और उनका पूराना मंशा जो पूर्व प्रबंध निदेशक और ऊर्जा सचिव ने नवंबर 2020 में तैयार किया था कि टीवीएनएल का जेयूयूएनएल में विलय कराने की दिशा में सरकार को बाध्य किया जा सके। बताया कि उनका सबसे ज्यादा जोर विलय पर है।
इसीप्रकार वरीय उपाध्यक्ष मितन सोरेन ने संबोधित करतर हुए कहा कि ऊर्जा विभाग के निर्गत पत्र से पता चलता है कि प्रतीत होता है मानो सरकार आगामी दिनों में टीवीएनएल के सभी ठेका-पतरी पर एकाधिकार स्थापित कर अधिपत्य जमाना चाहती है। वहीं कोई बाहरी कंपनी को सारा काम देना चाहते हैं, इसीप्रकार स्थानीय संवेदक को बाहर करने का षडयंत्र भी साफ प्रतीत होता है। उन्होंने कहा कि पत्र में टीटीपीएस का अन्य परियोजना यथा डीवीसी/एनटीपीसी से तुलनात्मक जेनरेशन कोस्ट का अध्यन की बात कही है जबकि उनको पता है पूर्व प्रबंध निदेशक द्वारा षडयंत्र के तहत जानबूझकर 420 मेगावाट का प्लांट से लोड घटाकर 130-140 मेगावाट पर चलाया गया ताकि जेनरेशन कोस्ट बढ़ जाये और परियोजना का नुकसान हो और अन्त में परियोजना का घाटा में दिखाकर आसानी से बेचा जा सके। बताया कि आदेश के आखिरी बिन्दु में कहा गया है कि टीवीएनएल में नियुक्त कर्मियों (विस्थापित) को बाह्य स्त्रोत से रखे गए कर्मी की जगह उपयोग करने की समीक्षा की बात कही
है। इससे इनका मंशा मेन पॉवर घटाने का है यह भी पता चलता है। बताया कि जहाँ एक और कोविड काल में सरकार अधिक से अधिक रोजगार सृजन पर जोर दे रही है, वहीं ऊर्जा सचिव निजी कंपनियों की तरह पूंजीवादी सोच के साथ रोजगार घटाने पर बल दे रहे हैं जो झारखण्ड मुक्ति मोर्चा की सरकार की सोच नहीं है।
बताया कि यहाँ के राज्य में कुछ ब्यूरोक्रेट्स मोदी सरकार के नक्शेकदम पर चल रहे हैं। इसका यह भी एक उदाहरण है। बताया कि अभी भी कंटीजेंट कर्मियों का नियमितिकरण संचिका एक से ऊर्जा सचिव के कार्यालय पड़ी हुई है।बीते 3 फरवरी को मुख्यमंत्री ने नियमितिकरण करने का निर्देश ऊर्जा सचिव को दिया था, परंतु 4 माह बीत जाने के बाद भी कोई प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ाना मुख्यमंत्री के आदेश का अवहेलना है।
बताया कि हमारी यूनियन ने 23 जून को ऊर्जा सचिव से मिलकर टीवीएनएल के प्रदूषण मानक को पूरा करने जेयूयूएनएल से बकाया भुगतान, उत्सर्जित छाई के निस्तारण का स्थायी समाधान, कोयले की नियमित आपूर्ति और कैपिटल मेंटेनेन्स पर अपना माँग पत्र सौंपा परंतु ऊर्जा सचिव ने समस्याओं पर अध्यक्ष ने फोकस नहीं किया। बताया कि टीवीएनएल सबसे सस्ती बिजली देती है परन्तु क्या कारण है कि महंगी बिजली खरीदकर राज्य को करोड़ो का नुकसान झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड को पहुँचाता है और उन महंगी कंपनियों को प्राथमिकता के आधार पर भुगतान होता है। बताया कि अगर ससमय भुगतान टीवीएनएल को मिले तो अधिक उत्पादन कर राज्य सरकार को करोड़ो का लाभ पहुंचा सकती है।
उन्होंने कहा कि यूनियन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मांग करती है कि तेनुघाट की विस्तारीकरण पर सरकार की नीति स्पष्ट करे इसीप्रकार टीवीएनएल में कार्यरत मेन पावर से छेड़-छाड़ और बेरोजगारी फैलाने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाने की मांग की है। साथ ही यूनियन ने परियोजना को बचाने के लिए यूनियन द्वारा की गई मांगों पर गंभीरता से ध्यान दें। अन्यथा तेनुघाट विद्युत मजदूर यूनियन उग्र आंदोलन का रास्ता अख्तियार करेगी।
प्रेस वार्ता को उपाध्यक्ष जयराम हांसदा, अब्दुल हक, दशरथ मांझी, सुखराम मांझी, सतीश चंद्र मुर्मू, बुधन सोरेन, अंजन हेम्ब्रम, मो. सुभानी, बिपुल मरांडी, प्रभात कुमार चौरसिया ने भी संबोधित किया।