गोमिया। गोमिया प्रखंड के सुदूरवर्ती झुमरा पहाड़ की तलहट्टी में बसे दनरा गांव में शुक्रवार को एक टीबी रोगी की मौत की खबर से आसपास के क्षेत्र में सनसनी फैल गई।
घटनाक्रम में मिली जानकारी के अनुसार दनरा निवासी बिसुन सिंह के 34 वर्षीय पुत्र महेंद्र सिंह बीते दिनों टीबी रोग के संक्रमण का शिकार हो गया, शुक्रवार को उसकी तबियत अचानक बिगड़ी और गोमिया समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचते ही उसकी मौत हो गई।
मृतक के पिता बिसुन सिंह ने बताया कि उसका पुत्र अन्यत्र राज्यों में टावर लाइन में मजदूरी का कार्य करता था। वह बीती होली पर्व से पूर्व अपने घर लौटा था। कोरोना की दूसरी लहर में लगे लॉकडाउन में महेंद्र फंस गया और वापस नहीं जा सका। बताया कि इसी दौरान पता नहीं कैसे वह टीबी जनित रोग से संक्रमित हो गया। बोकारो, विष्णुगढ़ सहित अन्य स्थानों से इलाज चलाता रहा। पिता ने बताया कि बीते चार दिन से उसकी तबीयत और बिगड़ती जा रही थी। शुक्रवार को अचानक खून की उल्टियों के साथ वह गंभीर रूप से बीमार हो गया। जिसके बाद आनन फानन में स्थानीय मुखिया लता देवी के मदद से उसके निजी बोलेरो की मदद लेकर गोमिया स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया, परंतु अस्पताल पहुंचते हीं इलाज से पूर्व उसने अपनी अंतिम सांस ली।
मुखिया प्रतिनिधि उपेंद्र महतो ने बताया कि लॉकडाउन के कारण पीड़ित परिवार महेंद्र की बाहर भी इलाज नहीं करा सका और मौत को गले लगाना पड़ा।
इधर झुमरा की तलहट्टी दनरा में घटी हृदय विदारक घटना के बाद चुट्टे के पंसस राजू प्रसाद ने प्रशासन द्वारा संचालित झुमरा एक्शन प्लान पर हीं सवाल खड़े कर दिए। कहा कि गोमिया के सुदूरवर्ती इलाकों खासकर झुमरा के विकास के लिए प्रशासन की योजना झुमरा एक्शन प्लान बिल्कुल निराधार है। कहा कि कहने को तो करोड़ों की राशि खर्च की गई है परंतु प्रशासन के पास हीं संधारण नहीं है कि किस विभाग में कितनी राशि खर्ची गयी है। चुट्टे में एक स्वास्थ्य उपकेंद्र का निर्माण हुआ भी तो वर्तमान में वह भी जर्जर हालत में खड़ा है। न तो दरवाजे हैं न तो खिड़कियां स्वास्थ्य उपकेंद्र भी ऐसी की न तो एक चिकित्सक रहते है न तो कोई स्वास्थ्यकर्मी। बताया कि अगर चुट्टे स्वास्थ्य उपकेंद्र चालू अवस्था मे होता तो आज महेंद्र सिंह की मौत अस्पताल में इलाज से पूर्व न होती।
इसीप्रकार स्थानीय दनरा के वार्ड एक के सदस्य सुखराम मांझी ने बताया कि सुबह से हीं मृतक बीमार पड़ा घर में कराह कर जान बचाने की फरियाद कर रहा था अंततः जब तक अस्पताल जाने की जुगाड़ हुई गोमिया पहुंचे महेंद्र की मौत जो चुकी थी। बताया कि सरकार के निर्देशन स्वास्थ्य विभाग एक ओंर जहां टीबी उन्मूलन की दिशा में अभियान "टीबी हारेगा, देश जीतेगा" जैसे अभियान को जन आंदोलन बना रही है वहीं गोपनीय तरीके से गोमिया में टीबी रोगी की मौत हो जाना ऐसे अभियान को धत्ता बता रही है।
बहरहाल मृतक के पिता के अलावे माता दुखनी देवी, पत्नी मालती देवी सहित अन्य परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है।
महेंद्र अपने पीछे पत्नी मालती देवी के अलावे चार बच्ची (क्रमशः 10 साल, 7 साल, 4 साल व एक डेढ़ माह की बच्ची) को छोड़ गए। मृतक की पत्नी ने बताया कि परिवार की आर्थिक स्थिति खराब है मृतक परिवार का एक मात्र कमाऊ था जिसकी आज मौत हो गई। उसने प्रशासन से मदद की गुहार लगाई है। परिवार ने प्रशासन से मदद की गुहार लगाई है।