विकास की बात यहीं छोड़िए साहब, गोमिया प्रखंड के सुदूरवर्ती चुट्टे पंचायत के श्रीनगर-चैयाटांड़ गांव को न तो सरकार, न तो पूर्ववर्ती चुने गए जनप्रतिनिधियों ने दिया एक अदद पुल, नदी के दोनों ओंर सड़क किंतु पुल नदारद रहने से ग्रामीणों का बरसात में करना पड़ता है भारी कठिनाइयों का सामना, लोग सीमित संसाधनों में भी सीख गए जीना, कोई दिवास्वप्न नहीं
गोमिया। गोमिया प्रखंड के सुदूरवर्ती चुट्टे पंचायत के दर्जनों गांवों का गोमिया प्रमुख बाजार है। जहां से ग्रामीण रोजमर्रा का सामान लाने के अलावा बैंक, राशन, कपड़े, दवाइयां, जूते चप्पल, किसानी सहित बिजली उपकरण आदि खरीदते हैं।
चुट्टे पंचायत के शास्त्रीनगर-चैयाटांड़ प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना में श्रीनगर व चैयाटांड़ गांव के बीच बहने वाली मरघटिया नदी में पुल नहीं रहने के कारण राजडरवा, तुइयो, चयाटांड़, नैयाटांड़, बनडीहा, धमधरवा, परसापानी, गालोहरी के ग्रामीण रस्सियों के सहारे ही नदी पार करने व कराने को विवश हैं। कई लोग इस जोखिम से बचने के लिए अनावश्यक छह किमी का फेरा लगाकर लोधी पंचायत के सेवई, कोड़वा, परतिया सड़क में बने बड़ा पुल का सहारा लेते हैं। हालांकि अधिकतर लोग रस्सियों व अन्य जुगाड़ पर ही निर्भर हैं।
आवाजाही से लेकर सामान लाने तक का माध्यम बनी है रस्सी
उक्त पीएम ग्रामीण सड़क में पुल नहीं रहने के कारण या अन्य साधन न होने के कारण ग्रामीण रस्सियों की सहायता से भारी सामान, अनाज, सब्जियां, घास व जानवर तक ले आते हैं। स्थानीय रामचंद्र महतो का कहना है किबरसात के दिनों में बच्चों के स्कूल जाने से लेकर, मरीज को अस्पताल ले जाने, जानवरों को चराने सहित गोमिया मुख्य सड़क से जुड़ने तक सभी रस्सियों व अन्य जुगाड़ पर हीं आश्रित है।
बताया कि आजादी के दशकों गुजर जाने के बावजूद अब इसे शासन-प्रशासन की नाकामी कहें या क्षेत्रीय चुने हुए जनप्रतिनिधियों का उपेक्षित रवैया स्वीकृत होने के बावजूद पुल का निर्माण नहीं हो सका और ग्रामीण पैदल और रस्सियों के सहारे मरघटिया नदी को पार करने का जोखिम उठा रहे हैं।
अपने छः माह के बच्ची का इलाज कराकर बाइक से लौट रहे आंति देवी, बालेश्वर महतो, बुधनी देवी ने बताया कि जब वह गई थी तो उस वक्त पानी कम था, परंतु जब वह घर जाने को है तो नदी में पानी उफनाई हुई है। परिणामस्वरूप दो घंटे का इंतेजार किया गया। इंतजार सकारात्मक न होता देखकर अपने बाइक को नदी के इस पार किसी अन्य के घर में खड़ी कर उक्त परिवार 6 माह की बच्ची सहित नदी पैदल पार कर गई।
इधर मरघटिया नदी पार कर फंसे क्षत्रधारी महतो, डालेश्वर महतो, प्रकाश महतो, रितलाल महतो, परमेश्वर अगरिया, महेंद्र महतो, महादेव महतो, दशरथ महतो, मोहन सिंह, परमेश्वर रविदास ने बताया कि राजडरवा, तुइयो, चयाटांड़, नैयाटांड़, बनडीहा, धमधरवा, परसापानी, गालोहरी गांव को नदी के समपार श्रीनगर, शास्त्री नगर, पिपरबाद, सवई, चुट्टे, खरना, पार खरना, दनरा, जमुआ बेड़ा, खर्चा बेड़ा, अमन, बलथरवा, कढ़मा, चिदरी, चिल्गो, माघा, तिसरी, लोधी, कुरकनालो, पेजुआ, चेलियाटांड़ आदि कई गांवों से जोड़ती है। बताया कि बरसात में कभी कभी स्थिति ऐसी हो जाती है कि कई दिनों तक मजबूरन लोग फंसे रह जाते हैं।
लोगों ने बताया बारिश के दिनों में लबालब पानी से उमड़ते नदी को पार करने के लिए घंटो इंतजार करना पड़ता था कि कब नदी का पानी कम हो और हमलोग घर पहुंचे। बारिश के मौसम में किसी ग्रामीण का बीमार पड़ना अभिशाप हो गया था, पुल नहीं रहने के कारण ससमय इलाज नहीं होने के कारण असमय मौत तक हो जाती थी, लेकिन आज गांव के युवक नदी में जलस्तर बढ़ते ही रस्सियों के सहारे लोगों की मदद करने पहुंच जाते हैं। बच्चा हो या वृद्ध सभी को मदद कर रस्सियों के सहारे आसानी से नदी पार करा दिया जाता हैं। कहा, आज मूसलाधार बारिश के कारण नदी में पानी कुछ ज्यादा है कई लोग जलस्तर कम होने के इंतजार में बैठे हैं।
इनका कहना है कि वर्षों से यही हाल है, इसी व्यवस्था में रहकर हमारे पूर्वजों ने जिंदगी गुजार दी और काल के गाल में समा गए, लेकिन न तो सरकार ने न चुने जनप्रतिनिधियों ने कोई सुध लिया। वर्षों से एक अदद पुल की मांग तक पूरी नहीं हुई।