परेशानी: गोमिया के सुदूरवर्ती पिपरबाद स्थित चिड़वा नदी में पुल का बाट जोह रहे ग्रामीण, जान जोखिम में डालकर पैदल व मोटरसाइकिल से नदी पार कर गंतव्य को पहुंचते हैं ग्रामीण, कई बार फंस जाते हैं वाहन तो कई बार बह जाते हैं जानवर
गोमिया। गोमिया प्रखंड के सुदूरवर्ती गांवों को एक दूसरे से जोडऩे वाले मार्गो की दयनीय स्थिति होने से ग्रामीणों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। मार्गों पर पड़ने वाले नदी नालों पर पुल पुलियाओं का भी घोर अभाव है। वर्तमान में बारिश के चलते परेशानियां और बढ़ गई है। ऐसे में ग्रामीणों को या तो कई किमी का चक्कर लगाना पड़ता है, या फिर जान जोखिम में डालकर नदी नालों को पार करना पड़ता है। कुछ ऐसी ही स्थिति चुट्टे पंचायत के ग्राम पिपराबाद में स्थित चिड़वा नदी की भी बनी हुई है। जहां पर नदी के दोनों ओर आवागमन के लिए मार्ग का निर्माण है, लेकिन नदी को पार करने के लिए पुल नहीं है। जिसके चलते ग्रामीणों के वाहनों का आवागमन तो दूर पैदल निकलना भी दूभर हो रहा है। आवागमन के दौरान मार्ग पर दोनों ओर मिट्टी होने के कारण वाहन फंस रहे है। इससे कई चुट्टे पंचायत के धमधरवा, परसापानी, तुइयो, बनडीहा, राजडेरवा, पिपराबाद, सेवई, चुट्टे, खरना, पार खरना, शास्त्री नगर, श्रीनगर, दनरा, जमुआ बेड़ा, खर्चा बेड़ा आदि गांवों का आवागमन प्रभावित हो रहा है।
दोनों ओर मार्ग का निर्माण, लेकिन नदी पर नहीं है पुल:
नदी पर पुल ना होने से आए दिन ग्रामीणों को भारी परेशानियों से जूझना पड़ रहा है। करमाटांड़-चतरोचट्टी मुख्य सड़क मार्ग से कटकर चुट्टे के पिपरबाद जाने के लिए प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना से सड़क बनाई गई है। जो चिड़वा नदी पर जाकर समाप्त होती है। वहीं नदी के उस पार भी प्रधानमंत्री सड़क उपलब्ध है। जो आगे के गांवों को जोड़ती है, लेकिन नदी पर पुल का निर्माण नहीं होने से ग्रामीणों को मुश्किले बढ़ जाती है। खासकर बारिश के दिनों में जब नदी उफान पर होती है तो मार्ग पूरी तरह बाधित हो जाता है। विभाग द्वारा मार्ग का निर्माण तो किया गया है, लेकिन नदी को पार करने के लिए पुल या रपटे का निर्माण नहीं किया है।
जान जोखिम में डालकर करते है नदी पार:-
शुक्रवार को नदी के तेज बहाव में फंसे ग्रामीण खरना के जोधा महतो, मुकेश कुमार महतो, चुरामन महतो, संतोष महतो, पिपराबाद के मगन गंझू, होरिल गंझू, चुट्टे के गोपी कुमार महतो बताते हैं कि नदी में पानी होने पर यह सीधा मार्ग बंद हो जाता है। नदी में कम पानी होने की स्थिति में अपनी जान जोखिम में डालकर नदी पार करनी होती है। जिसमें बुजुर्ग महिलाएं एवं बच्चे भी शामिल होते हैं, तब कहीं जाकर गोमिया प्रखंड मुख्यालय, बैंक सहित मुख्य बाजार नसीब हो पाती है। चुट्टे के शास्त्री नगर व श्रीनगर के ग्रामीण किसानों की जमीन भी उस पार होने से उन्हें भी अपने खेतों तक पहुंचने एवं फसलों को परिवहन करने में काफी कठिनाइयां होती है। बताते हैं कि खेत ऊपर होने के कारण कई बार उनकी फसलें बर्बाद भी हो जाती है। तो वहीं कई बार छोटे जानवर नदी पार करते समय नदी के तेज बहाव में बह भी जाते हैं। बताया कि वर्तमान में नदी के किनारे मार्गो पर मिट्टी जमा हो गई है। पानी के तेज बहाव में चारपहिया वाहनों को जैसे तैसे पार करने के बाद जमी मिट्टी से वाहन फंस रहे है। जिन्हें ट्रेक्टर आदि से खिंचवाया जाता है। बताया कि पुल का निर्माण नहीं होने से ग्रामीण इलाकों के महिलाओं का प्रसव, बीमारी से पीड़ित मरीजों के इलाज तथा आकस्मिक घटना-दुर्घटना में घायलों को गोमिया व अन्यत्र ले जाने में भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। ग्रामीणों ने बताया कि इसको लेकर कोई भी जिम्मेदार जनप्रतिनिधि इस ओंर ध्यान नहीं दे रहे है।
आधा दर्जन आदिवासी गांवों को जोड़ता है मार्ग :-
ग्रामीण बताते हैं कि करमाटांड़-चतरोचट्टी मुख्य सड़क से पिपराबाद होते हुए यह मार्ग आधा दर्जन से अधिक आदिवासी गांवों को जोडता है। धमधरवा, परसापानी, बनडीहा, दनरा, जमुआ बेड़ा, खर्चा बेड़ा समेत अन्य आदिवासी ग्रामों को मुख्य मार्ग से जोड़ती है। नदी में पानी बढऩे पर ग्रामीणो को पिपराबाद से लगभग 10 किलोमीटर का फेरा लगाते हुए चीतु आना पड़ता है। जिससे उनका समय व धन दोनों ही बर्बाद होता है। ग्रामीणों द्वारा इसकी कई बार मांग भी की जा चुकी है।
तुइयो के समाजसेवी भुनेश्वर महतो ने बताया कि इस संबंध में गोमिया के पूर्व के जनप्रतिनिधियों को ग्रामीणों ने हलफनामे देकर अवगत भी कराया है। बावजूद इसके पुल का निर्माण नहीं हुआ है। बताया कि पुल के निर्माण के लिए गोमिया विधायक डॉ. लंबोदर महतो को भी अवगत कराया जा चुका है।