गोमिया में भ्रष्टाचार का पुल: करमाटांड़ में दो करोड़ की लागत से बना पुल दो माह भी नहीं चला, उद्घाटन से पहले ही कई जगह आई 10-10 फीट की गहरी लंबी दरारें, हुआ जर्जर
गोमिया। गोमिया के करमाटांड़ और बोकारो-हजारीबाग जिले को जोड़ने वाली करमाटांड़ मे दो करोड़ की लागत से बना पुल दो माह भी नहीं टिक सका। नव निर्मित पुल में बड़ी दरारें पड़कर कई हिस्सों में क्षतिग्रस्त होना शुरू हो गया है।
बता दें कि गोमिया और करमाटांड़ के बीच लगभग 2 करोड़ रुपए की लागत से बने पुल उद्घाटन से पहले ही कई भयंकर दरारें आ गई हैं। बोकारो और हजारीबाग को जोड़ने वाले इस पुल का निर्माण अप्रैल-2021 में ही हुआ है और वाहनों का भार तो दूर पहली बरसात भी नहीं झेल सका।
वर्तमान में इस पुल से गुजरना खतरे से खाली नहीं है। फिलहाल उक्त पुल से साइकिल और मोटर साइकिल सहित चार पहिया वाहनों को छोड़ बाक़ी सभी तरह के भारी वाहनों का आवागमन रुका हुआ है। हालांकि प्रशासन के द्वारा आधिकारिक तौर पर नव निर्मित जर्जर पुल के ऊपर से हो रहे आवागमन को अब तक बंद नहीं कराया गया है।
गौरतलब है कि करमाटांड़ के समीप बने पुराने पुलिया के जर्जर होने पर वर्ष 2018-19 में शासन द्वारा पुराने पुलिया के पास नवीन उच्चस्तरीय पुल बनाने की मंजूरी दी गई थी। शासन की मंजूरी के बाद पुल बनाने का ठेका पथ निर्माण विभाग द्वारा वर्ष 2019 में एक ठेका कंपनी को दिया गया।
घटिया क्वालिटी का हुआ कामः गोमिया-करमाटांड़ वासियों क्रमशः राजेश साव उप मुखिया खम्हरा ने बताया कि वास्तविक संवेदक पहले किसी और पेटी कॉन्ट्रेक्टर को यह काम दिया जिसके बाद पेटी कॉन्ट्रेक्टर के द्वारा पुल बनाने का शुरू किया गया। पुल के शुरुआती दौर से हीं भ्रष्टाचार हावी रहा। कई बार मौजूद संबंधित पुल निर्माण के कार्य मे लगे ठेकेदार व मुंशी के द्वारा न तो कंपनी को उपलब्ध कराया गया वर्क आर्डर दिखाया गया न तो गुणवत्तापूर्ण निर्माण कार्य के लिए कोई पहल किया गया। बताया कि और तो और निर्माण कार्य के लिए जिन रैयतों की सिंचाई खेतों के इस्तेमाल किया गया उसे भी अब तक मुआवजा का भुगतान नहीं किया गया। बताया कि दो जिलों को जोड़ने वाली जीवन रेखा जैसी एकमात्र सड़क के पुल का इतने कम समय मे जर्जर होना लोगों के जन-जीवन पर आघात जैसा पीड़ादायक है।
स्थानीय बिनय कुमार, दीनाराम हांसदा, रामकृष्ण मुर्मू ने संयुक्त रूप से बताया कि जर्जर गार्डवाल पर बना पुल चक्रवाती तूफान यास से पूर्व ही दरारों में तब्दील थी। यास की लगातार बारिश में उक्त पुल दो हिंस्सों में बंट गया है। बताया कि नाम मात्र के जर्जर गार्डवाल मिट्टी की बंधाई को भी बर्दाश्त नहीं कर सका और पूरी तरह ध्वस्त हो गया। परिणामस्वरूप पुल भी कई हिस्सों में जर्जर व दरारों में विभक्त हो गया। पुल इतनी जर्जर हो चुकी है कि उस पर आवागमन कभी भी हमेशा हमेशा के लिए रुक सकता है।
गुनाराम बेसरा, कृष्णा कुमार बेसरा, इसराययल अंसारी, अरविंद मुर्मू ने बताया कि उक्त पुल जून 2020 में पूरा करना था, लेकिन कंपनी द्वारा निर्माण कार्य में बरती गई लापरवाही के कारण पुल जनवरी 2021 में बनकर तैयार हो सका। खास बात यह है कि कॉन्ट्रेक्टर द्वारा देरी से काम पूरा किए जाने को लेकर विभाग द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई है। लेकिन निर्माण के दौरान ठेका कंस्ट्रक्शन कंपनी घटिया निर्माण सामग्री का उपयोग किया था। जिसके चलते नया पुल दो महीने में ही जर्जर हो गया।
उद्घाटन से पहले शुरू हुआ आवागमन
करमाटांड़ निवासी सोनाराम बेसरा ने बताया कि निर्माण कार्य के वक्त से उक्त पुल में दरारों का दौर जारी था। संवेदक द्वारा जहां जहां भी दरारें पड़ती वहां सीमेंट घोलकर व लेप लगाकर ढंक दिया जा रहा था, औऱ तो और सड़कों व पुल पर दस दस मीटर की लंबी दरारें को रात के अंधेरे में संवेदक द्वारा जेसीबी से मिट्टी डालकर ढंकने का भी काम किया गया। बताया कि भ्रष्टाचार की नींव से तैयार हुआ उक्त उच्चस्तरीय करमाटांड़ पुल को उद्घाटन से पहले हीं आवागमन के लिए चालू कर दिया था। वर्तमान में पुल के ऊपर से रोजाना रेत और गिट्टी से भरे भारी वाहनों का निकलना भी हो रहा है। अगर कोई ट्रेलर, हाइवा या अन्य भारी वाहन उक्त सड़क से गुजरता है तो उसके वहीं फंसने या बड़ी दुर्घटनाओं से भी इनकार नहीं किया जा सकता है। वहीं पुल के जर्जर होने के बाद भी प्रशासन द्वारा पुल पर हो रहे आवागमन को बंद नहीं कराया गया है। जिसके चलते कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है।
निर्माण कार्य की जांच कराई जाएगी: पूर्व विधायक
गोमिया के पूर्व विधायक योगेंद्र प्रसाद ने इस संबंध में बीते 09 दिसंबर 2020 को सूबे के मुख्यमंत्री व पथ निर्माण विभाग के सचिव को पत्र लिखकर उक्त पुल के निर्माण कार्य मे उच्चस्तरीय जांच की मांग की थी। उन्होंने पुनः कहा है कि करमाटांड़ पुल निर्माण की जांच कराई जाएगी। इस संबंध में पथ निर्माण विभाग के अधिकारियों से बात करूंगा।