गोमिया के पलायित मजदूर की अनसुनी दास्तां कहानी "जिंदा लाश" गोमिया इनबॉक्स - 1 में दिखाएं जाने के दो दिन बाद भी निरंकुश शासन के हाथ अब तक खड़े हैं, तो वहीं सोमवार को प्रशासन के हाथ आगे बढ़े हैं।
बता दें कि नवी मुंबई में गोमिया प्रखंड के सुदूरवर्ती चतरोचट्टी पंचायत अंतर्गत कतबारी गांव के पलायित मजदूर बीते दिनों हाइवा चालन के दौरान करंट की चपेट में आने से हाथ-पैर गवांकर जिंदा लाश बने अनिल महतो की मदद के लिए सोमवार को खुद गोमिया बीडीओ कपिल कुमार उनके पैतृक गांव क़तवारी पहुंचे और एक ट्राई साइकिल सहित 50 किलो खाद्यान्न मुहैया कराया। वहीं बीडीओ ने पीड़ित परिवार को प्रधानमंत्री आवास, पहले पलायित मजदूर अब दिव्यांग को दिव्यांग पेंशन के साथ भविष्य में बेटी की अच्छी शिक्षा के लिए कस्तूरबा विद्यालय में नामांकन कराने की बात कही है। बीडीओ ने आजीविका चलाने के लिए संबंधित पंचायत की मुखिया कौलेश्वरी देवी को निकट भविष्य में पंचायत के अंदर प्राथमिकता के आधार पर पत्नी को अस्थाई रोजगार उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। वहीं पीड़ित की इलाज में हरसंभव मदद की भी बात कही है।
दिव्यांग अनिल महतो ने प्रशासन को मदद के लिए धन्यवाद कहा, लेकिन आजीविका तथा बच्चों की आगे के भरण पोषण, शिक्षा दीक्षा के लिए पत्नी को स्थाई रोजगार देने की मांग को दोहराया।
अब देखना है कहानी कहां बदलती है अभी तलक तो हुक्म हुक्मरानों का चलता है। खैर पीड़ित परिवार के श्वसन (सांस चलने) क्रिया तक आश्वासन प्रक्रिया पूरी होगी या फिर पीड़ित परिवार हसीन सपनों की मुग़ालते पालेगा..!!
यह आगे देखने वाली बात होगी।
इधर शासन तो दूर दूर तक दिव्यांग अनिल के पैतृक गांव क़तवारी आने से रहा परंतु कोरोना काल मे भी सूबे पूर्व मंत्री व विधायक रहे माधव लाल सिंह सोमवार को पीड़ित के घर पहुंचकर परिजनों से भेंट की और हालचाल जाना। जरूरत के सामान भी पीड़ित परिवार को उपलब्ध कराया। वहीं प्रवासी सहित पलायित मजदूरों के पलायन और इस प्रकार की घटना के लिए सरकार की कार्यप्रणाली पर जिम्मेदार ठहराया। कहा झारखंड संपन्न राज्य होने के बाद भी यहां के लोग पलायन करते हैं। पलायित व प्रवासी मजदूरों का कोई संरक्षित डाटा तक सरकार के पास मौजूद नहीं है। शासन पर सवाल उठाते हुए कहा कि यहां के नेता और अधिकारी अगर ईमानदार होते तो आज विभिन्न राज्यों के मजदूर झारखंड में रोजगार करने आते। लेकिन यहां नेता, अधिकारी अपना भंडारन करने में लगे हैं। पूर्व मंत्री ने पीड़ित परिवार को हरसंभव मदद देने का आश्वासन दिया।
फिर बता दूं निरंकुश शासन से मेरा अभिप्राय जनता द्वारा चुने गए जनप्रतिनिधियों यथा सांसद व विधायक से है, कोई और कुछ न समझें..!!
फिर भी अगर किन्हीं के मन मे कुछ समझने का संशय होगी तो एडमिन द्वारा इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता कही जाएगी।
_______विशाल अग्रवाल