गोमिया में सौर ऊर्जा पर आधारित जल मीनार में बड़े पैमाने पर अनियमितता, आईईएल बारूद कारखाना के एसिड प्लांट से ऐसिड युक्त हुए भूमिगत जल के कारण खतरे के निशान लाल रंग से रंगे चापानल में नियमों की अनदेखी कर लगाया गया सोलर जल मीनार, लोग उठा रहे उसकी उपयोगिता पर सवाल
गोमिया। बोकारो जिला के गोमिया प्रखंड के अधिकांश पंचायतों में लगाई गई सौर ऊर्जा पर आधारित जल मीनार में बड़े पैमाने पर अनियमितता बरती जा रही है। निर्माण कार्य में न तो प्राक्कलन के अनुसार कार्य हुआ और न ही तय मानक का कोई ख्याल रखा गया।
पहले हम बात करते हैं स्ट्रक्चर की जो महज लोहे की पाइप में एल्युमीनियम पेंट चढ़ाकर लगाया जा रहा है जबकि मानक के मुताबिक उक्त स्ट्रक्चर में टाटा कंपनी का गैल्वनाइज लगाया जाना है। जानकारी के अनुसार सौर ऊर्जा आधारित जल मीनार का निर्माण कार्य पंचायत के मुखिया व पंचायत सचिव की देखरेख होना है। जिसके लिए लगभग 3 लाख रुपये की मॉडल एस्टीमेट तैयार किया गया है। इसके लिए निर्माण स्थल का चयन कार्यकारिणी की बैठक में तय होना और नियमानुकूल लाभुक समिति का गठन कर उसके माध्यम से योजनाएं कराई जानी हैं। वहीं स्टेजिग फाउंडेशन के लिए डेढ़ मीटर की गहराई निर्धारित है लेकिन फाउंडेशन महज डेढ़ फिट की गई है। लाभुक समिति द्वारा निबंधित व कुशल आपूर्तिकर्ता से सामग्री का क्रय व अधिष्ठापन कराया जायेगा। जिसके चारों ओर नल लगाये जाने हैं। लेकिन ऐसा कहीं भी नहीं किया गया है। लेकिन नियमों को ताक पर रख संबंधित पंचायत के मुखिया व सचिव जल मीनार का निर्माण कार्य मॉडल एस्टीमेट के अनुसार नहीं कराया जा रहा है।
ऐसा हैं एक मामला गोमिया प्रखंड के ससबेड़ा पश्चमी पंचायत का है जहां भ्रष्टाचार की परमगाथा देखने को मिली है: दशकों पूर्व आईईएल बारूद कारखाना के एसिड प्लांट के कारण एसिड युक्त हुई भूमिगत जल की जांच के बाद आईईपीएल ओरिका कंपनी प्रबंधन जान जोखिमों को देखते हुए द्वारा खतरे के निशान में लाल रंग से रंग दिया और चापानल में आवश्यक निर्देश लिख दिया गया। इन सबके बावजूद भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा के पार ससबेड़ा पश्चिमी पंचायत के जेबीवीएनएल के बिजली बिल ऑफिस के समीप उसी चापानल में एक निजी व्यक्ति को जानवरों को धोने के लिए एक डायरेक्ट कनेक्शन का लाभ देने के साथ लगाया गया सोलर जल मीनार।
गोमिया बीडीओ कपिल कुमार ने कहा जांच की जाएगी। अगर किसी को कनेक्शन दिया गया है तो उसके विरुद्ध मामला दर्ज किया जाएगा। वहीं स्थानीय लोग चापानल में लगे जल मीनार की उपयोगिता को लेकर सवाल उठा रहे हैं।
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इन सब से परे शिकायत की परवाह न करते हुए अन्यान्य पंचायतों में भी धड़ल्ले से जलमीनार लगाई जा रही है।