भवनाथपुर : भवनाथपुर (सेल) द्वारा भवनाथपुर से मेराल ग्राम तक बिछाई गई 34 किमी रेलवे लाइन से पत्थर माफिया धड़ल्ले से बोल्डर चोरी कर सरकारी और गैर-सरकारी योजनाओं में लगा रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि सेल के अधिकारियों को इसकी भनक तक नहीं है। पिछले वर्ष भी मामला अखबार की सुर्खियों में आने के बाद सेल ने मामले की जांच कर अज्ञात पर लिखित कार्रवाई की थी, लेकिन पत्थर माफियाओं पर कोई ठोस कदम नहीं उठाए जाने के कारण वे बेखौफ कार्य कर रहे हैं।
भवनाथपुर में सेल द्वारा दो खदानों, घाघरा लाइमस्टोन और तुलसी दामर डोलोमाइट, में काम होता था। लाइमस्टोन पत्थर को कर्सर मशीन में टुकड़ा कर सेल के विभिन्न स्टील प्लांटों में रेल से भेजा जाता था, जिसके लिए भवनाथपुर से मेराल तक 34 किमी रेलवे लाइन बिछाई गई थी।
इस लाइन की देखरेख की जिम्मेदारी पहले सेल कर्मियों और बाद में ठेका श्रमिकों को दी गई थी। लेकिन, वर्ष 2014 में लाइमस्टोन और 2020 में डोलोमाइट खदान बंद होने के बाद यहां से रेल से पत्थर भेजना भी बंद हो गया।
इस स्थिति का फायदा उठाते हुए लोगों ने सेल की रेलवे लाइन को बड़े पैमाने पर काटकर चोरी करना शुरू कर दिया। पत्थर माफिया अब इस लाइन में लगे बड़े-बड़े बोल्डरों को निकालकर सरकारी योजनाओं जैसे पुल-पुलिया, कूप और आवास निर्माण में बेच रहे हैं। साथ ही, रेलवे लाइन के नीचे मजदूर जंगल में ही छोटे-छोटे पत्थर तोड़कर बेचने के लिए खदान की तरह काम कर रहे हैं।