गढ़वा : बट सावित्री पूजा के महत्व और उसकी परंपराओं को बहुत ही सुंदरता से वर्णित किया गया है। इस पूजा में सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और स्वस्थ जीवन की कामना के लिए व्रत रखती हैं और बट वृक्ष की पूजा करती हैं।
बट सावित्री पूजा का पौराणिक महत्व भी उल्लेखनीय है। सतयुग में सावित्री ने अपने पति सत्यवान के प्राणों की रक्षा यमराज से की थी, जिससे यह पूजा एक सती स्त्री के अटल प्रेम और समर्पण का प्रतीक बन गई। इस पूजा के दौरान, महिलाएं विधि-विधान से बट वृक्ष की पूजा करती हैं, जो अटल विश्वास और स्थायित्व का प्रतीक माना जाता है।
इस अवसर पर, महिलाएं सुबह से उपवास रखकर और दोपहर बाद तक बट वृक्ष के नीचे पूजा अर्चना करती हैं।
यह अनुष्ठान शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में समान रूप से मनाया जाता है, जहां महिलाएं बट वृक्ष के चारों ओर इकट्ठा होकर अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं।
यह पूजा न केवल धार्मिक और पौराणिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह परिवार और विवाह के प्रति समर्पण और प्रेम को दर्शाता है।