भंडरिया : करचाली गांव के लोग आजादी के 75 वर्षों बाद भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। यहां की मुख्य समस्याएं शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी, और रोजगार से संबंधित हैं।
करचाली गांव की आबादी 400 घरों की है, जिसमें आदिवासी उरांव, खरवार और मुस्लिम लोग निवास करते हैं। गांव में तीन टोले हैं: खानोडीह, चिरैयाटांड़ और खूंटी टोला। यहां एक मध्य विद्यालय और दो प्राथमिक विद्यालय हैं, लेकिन शिक्षकों की कमी के कारण बच्चों की पढ़ाई नियमित नहीं हो पाती है, जिससे उनके भविष्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
बिजली के खंभे लगे होने के बावजूद बिजली की आपूर्ति अनियमित है, जिससे सिंचाई में बाधा आती है और फसलें सूख जाती हैं। गांव की अधिकांश खेती मानसून पर निर्भर है, लेकिन सूखे के कारण किसान भुखमरी की कगार पर पहुंच गए हैं।
किसानों को पीडीएस से 5 किलो राशन मिलता है, जो एक महीने के लिए अपर्याप्त है।
खेती न होने के कारण 300 से अधिक लोग मजदूरी के लिए अन्य प्रदेशों में पलायन कर गए हैं, लेकिन वहां भी उन्हें उचित मजदूरी नहीं मिलती। स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव है, जिसके चलते लोगों को इलाज के लिए भंडारिया या रामानुजगंज जाना पड़ता है। पेयजल की भी गंभीर समस्या है; चार में से तीन जलमीनार और आठ में से चार चापाकल खराब पड़े हैं। विभाग को कई बार सूचित करने के बावजूद इनकी मरम्मत नहीं हुई है।
मनरेगा में मजदूरी समय पर नहीं मिलने के कारण मजदूर काम करने से कतराते हैं। इस प्रकार, करचाली गांव के लोग कई समस्याओं से जूझ रहे हैं और उन्हें तत्काल राहत की आवश्यकता है।