स्टाफ रिपोर्टर, एएनएम न्यूज़: मालदा को हमेशा कांग्रेस और एबीए गनी खान चौधरी के नाम से पहचाना जाता है, जिन्होंने जिले के लिए सब कुछ किया। उनके परिवार ने सचमुच टीएमसी के आने से पहले तक मालदा की राजनीति को नियंत्रित किया और फिर भाजपा पूरी ताकत से साथ तस्वीर में आ गई। सबसे पहले टीएमसी ने खानचौधरी परिवार को आधे में बाँट दिया और मालदा की राजनीति को विभाजित किया। आक्रामक हिंदुत्व के अपने ब्रांड के साथ भाजपा इस सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील जिले में समुदायों को विभाजित करने में कामयाब रही। 26 अप्रैल को होने वाले मतदान में मालदा में तीनो पार्टी दावा पेश कर रही है। मतदान से पहले तक ज़िले में हिंसा की घटनाएं हुई हैं। अधिकारियों ने उल्लेख किया कि मालदा में हिंसा मुक्त चुनाव करना एक चुनौती है और पुलिस इसके लिए तैयार है। भाजपा के लिए यह करो या मरो की लड़ाई है। जादुई आंकड़े तक पहुंचने के लिए इन कुछ सीटें जीतने की जरूरत है और इसके लिए सभी पार्टिया कमर तोड़ मेहनत कर रही है।
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