मंझिआंव- करमडीह पंचायत में एक परिवार ऐसा भी है जो सालों से घास फूस के झोपड़ी में अपने तीन नाबालिग बच्चों और अपनी पत्नी के साथ रहने को मजबूर हैं।
सरकार की सारी योजनाएं इस परिवार की मजबूरी के आगे फेल हैं।
जी हां आज हम आपको ऐसे परिवार की मजबूरी की दास्तान से अवगत कराने जा रहे हैं जिसकी मजबूरी को जानकर आपकी आंखें भर आएंगी।
हम बात कर रहे हैं मनौवर खान के बारे में जो रिक्सा चलाकर गरीबी की हालत में अपने 6 बच्चों को किसी तरह से पाल पोसकर बड़ा तो कर दिया। परन्तुं गरीबी की मार ने उनके परिवार को आगे नहीं बढ़ने दिया। सभी बच्चे बड़े होकर अपनी अपनी रोजी-रोटी की तलाश में इधर से उधर भटकने लगे। कुछ बच्चों ने तो दिन रात मेहनत करके अपना रोजमर्रा की जरूरतों को खुद से वहन करने लगे। बच्चे जैसे जैसे बड़े होते गए उनकी शादी भी होती गयी। मनौवर का बड़ा बेटा जावेद खान, जो मजदूरी का काम करता है, की शादी होने के बाद वह अपने बीवी और बच्चों को लेकर अलग घास फूस की झोपड़ी बनाकर अलग रहने लगा। उसके पिता-मनौवर खान का प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान बन गया है। परंतु परिवार बड़ा होने के कारण जावेद खान को अपने पिता के घर मे रहने के लिए जगह नही मिल सका। कई गर्मी , बरसात, और ठंडी आयी और गयी । बहुत लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना मिली पर जावेद खान को नहीं मिल सका । उसने दिन, महीना, साल प्रधानमंत्री आवास योजना लेने के लिए अधिकारियों के चक्कर काटते रहे । परन्तुं उसे आवास नहीं मिल सका। चाहे कारण जो भी रहा हो। जावेद खान के घर में राशन कार्ड तो है पर वो पिता के नाम पर है जिसमे उसके परिवार के सदस्यों का नाम बहुत कम लोगों का है। जिसके कारण उसे राशन का चावल भी बहुत कम मिलता है। अर्थात जावेद खान का अलग राशन कार्ड नहीं है। कुछ दिनों में अब ठंड का मौसम शुरू होने वाला है । इतनी कड़ाके की ठंड में वो अपने परिवार के साथ कैसे रात गुजरेगा ।
जब तक उसे प्रधानमंत्री आवास योजना नहीं मिल जाता तब तक वो इसी झोपड़ी में अपने तीन छोटे छोटे बच्चों और अपनी पत्नी के साथ रहने को मजबूर है।
नूतन टी वी के माध्यम से सरकार और संबंधित अधिकारियों से मेरा यह मांग है कि वे इस मामले को संज्ञान में लेते हुए जांच पड़ताल कर दोषियों पर उचित करवाई करते हुए जावेद खान को जल्द से जल्द प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत उसे आवास एवं नया राशन कार्ड प्रदान की जाए।। ताकि वो अपने परिवार के साथ आराम से रह सके।