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चाभी है पर घर नही

location_on WEST BENGAL access_time 04-Mar-21, 01:55 PM

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टोनी आलम, एएनएम न्यूज़, जमुड़िया : करीब एक दशक से भु-धसान प्रभावित लोग अस्थायी घर, किराए के घर, ईसीएल की बंद पड़े घर या झोंपड़ी मे रहने को मजबूर हैं। जमुड़िया विधानसभा क्षेत्र के 11 नंबर वार्ड अन्तर्गत छातिम डांगा के सैकड़ों परिवारो कि दुर्दशा हमारे कैमरे में कैद हुई। एक दशक के लंबे इंतजार के बाद पिछले साल आठ दिसंबर को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के प्रशासनिक सभा से सैकड़ों धसान प्रभावित पांच परिवारों को आवास की चाभीयां दी गयी थीं। मगर तीन महीने बाद भी उनको घर नही मिला है जिससे यह परिवार बेहद हताश हैं। धसान प्रभावित परिवार के सदस्य रघुवीर नोनिया ने कहा कि 2011 के मई महीने मे छातिमडांगा मे भयंकर भुधसान हुआ था जिसमे पांच लोगों की दबकर मौत हो गई थी वहीं 120 घर पुरी तरह टुट गए थे। उस वक्त प्रशासन की तरफ से उनको अस्थायी रुप से ईसीएल के बंद घर और चिकित्सा केद्रो मे ठहराया गया था। कुछ लोग झोंपड़ीयो मे रहने को मजबूर हुए। मगर दस साल बीतने के बाद भी उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हुआ है। पिछले दिसंबर में अजित बाउरी, पद्मा बाउरी, सुरेश नोनिया, पप्पु नोनिया और रघुवीर नोनिया के हाथो ममता बनर्जी ने विजयनगर गांव मे बने पुर्नवास आवास के घरो की चाभीयां दी थी। मगर आजतक उनको घर ना मिलने से वह सभी हताश है। अजित बाउरी ने कहा कि घर रहने के बाद भी वह बेहद परेशानी मे है। उन्होंने कहा कि वह ईसीएल के जिन घरो मे पिछले दस सालों से रह रहे हैं उनकी जर्जर हालत हो चुकी है जिससे वह कभी भी जमीदोज हो सकती है। हल्की बारिश मे घर के अंदर पानी जम जाता है। घर का प्लास्टर टुट टुटकर गिरता रहता है।




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