एएनएम न्यूज़, डेस्क : अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस से पहले उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने संसद सदस्यों को पत्र लिखकर भारतीय भाषाओं के प्रचार-प्रसार में योगदान देने का आग्रह किया। उन्होंने सबसे पहले सीखी जाने वाली और बोली जाने वाली मातृभाषा को 'जीवन की आत्मा' करार दिया और सांसदों को ईमेल से भेजे गए तीन पृष्ठों के पत्र में इन भाषाओं को प्रोत्साहित करने की अपील की। राज्य सभा के अध्यक्ष ने घर पर अनौपचारिक शिक्षा के शुरुआती वर्षों में पहली भाषा में मजबूत नींव कौशल के महत्व पर विस्तार से बताया, जहां शिक्षा शुरू होती है।
नायडू ने कहा कि मातृभाषा दुनिया के लिए एक शिशु की पहली खिड़की है और इस बात के पर्याप्त प्रमाण हैं कि घर में बोली जाने वाली पहली भाषा में मजबूत साहित्यिक कौशल अकादमिक प्रदर्शन को बेहतर बनाने में मदद करते हैं और दूसरी भाषा सीखने में भी मदद करते हैं।