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स्वीकार करना चाहिए जाति विवाह: सुप्रीम कोर्ट

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एएनएम न्यूज़, डेस्क : बीजेपी प्रॉफिट जिहाद को रोकने के लिए अपनी कमर कसकर उतरी है। इस तरह की घटनाओं पर नकेल कसने के लिए उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में पहले से ही लाभ विरोधी जिहाद कानून लागू है। हालांकि इस बीच देश की शीर्ष अदालत ने एक नया फैसला दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यह विभिन्न धर्मों और जातियों के विवाहों को स्वीकार करने का समय है। सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि 'एक पुरुष या एक महिला को अपना जीवनसाथी चुनने का पूरा अधिकार है और समाज को इसे स्वीकार करना सीखना होगा। शिक्षा के लिए यह सबसे अच्छा समय है।' सुप्रीम कोर्ट जस्टिस संजय कृष्ण कौल और ऋषिकेश रॉय की खंडपीठ ने मंगलवार को एक सुनवाई में कहा कि विवाह को धर्म या जाति के बावजूद स्वीकार करना महत्वपूर्ण था। यह एक सामाजिक प्रथा है। प्रॉफिट जिहाद होने पर अफसोस करने की कोई बात नहीं है। अब समय है मामले को स्वीकार करने का।




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