place Current Pin : 822114
Loading...


क्या कलकत्ता में भी बादल फट सकते हैं

location_on WESTBENGAL access_time 08-Feb-21, 11:06 AM

👁 133 | toll 43



1 3.7 star
Public

एएनएम न्यूज़, डेस्क : हिमस्खलन की चपेट में आने से सैकड़ों लोगों की जान चली गई। कहा जाता है कि सर्दियों में ग्लेशियर जम जाते हैं। उस समय यह क्यों टूट गया? उत्तर खोजने के लिए बहस शुरू हो गई है। क्या कलकत्ता में भी बादल फट सकते हैं? क्या तिलोत्तमा कोलकाता बिल्कुल सुरक्षित है? विशेषज्ञों का कहना है कि ग्लोबल वार्मिंग का असर कोलकाता में भी महसूस किया जा सकता है। यह आमतौर पर बारिश के मौसम में होता है। समतल होने से यहां किसी प्रकार की जनहानि नहीं होगी। हालांकि, शहर का निचला हिस्सा पानी में चला जाएगा। आंकड़े कहते हैं कि इस शहर में बारिश धीरे-धीरे बढ़ रही है। सामान्य तौर पर, बादल फटने की स्थिति में एक घंटे में 100 मिलीमीटर से अधिक बारिश होती है। पिछले 70 वर्षों के आंकड़ों के अनुसार, ग्लोबल वार्मिंग ने पश्चिमी तट और मध्य भारत में बारिश को लगभग तीन गुना कर दिया है। भारी बारिश भी बढ़ रही है। हालांकि, अरब सागर की गर्मी बंगाल की खाड़ी की तुलना में अधिक बढ़ रही है। यही वजह है कि मुंबई का माथा चिंता से भरा है। पर्यावरणविदों ने भारत, चीन, नेपाल और भूटान में पिछले 40 वर्षों में लगभग 6.5 बिलियन ग्लेशियरों के क्षेत्र में 2,000 किलोमीटर के ग्लेशियरों की उपग्रह छवियों का अवलोकन किया है। कोलकाता में भी आपदा का सामना करना पड़ सकता है।




Post News & Earn


गूगल प्ले से डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें। Get it on Google Play