एएनएम न्यूज़, डेस्क : नाबालिग के मामले में, उसे सीधे नहीं छूना या उसके गुप्तांग को नहीं छूना यौन शोषण नहीं है। इस तरह की घटनाएं प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल एब्यूज (पोक्सो) अधिनियम के तहत नहीं होंगी। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच की जस्टिस पुष्पा गनेरीवाला ने एक केस की सुनवाई में ऐसा अहम फैसला दिया। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि अगर किसी बच्चे को अंतरंगता के बिना यौन इच्छा के साथ छुआ जाता है, तो इसे यौन शोषण माना जाएगा।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने नाबालिग के यौन उत्पीड़न के प्रयास के मामले में अभियुक्तों की याचिका के जवाब में यह बात कही। अगर पॉक्सो एक्ट की धारा 7 के तहत दोषी ठहराया जाता है, तो आरोपी को अधिकतम तीन साल कैद की सजा सुनाई जानी थी। कानून की इस व्याख्या के साथ, न्यायमूर्ति गनेरीवाला ने भारतीय दंड संहिता की धारा 354 और 342 के तहत उस व्यक्ति को एक वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई।