बेरमो आवाज
बेरमो कोयलांचल सहित आस पास के समीपवर्ती इलाकों में आज सांपो की देवी मां मनसा देवी की पूजा हर्षोल्लास के साथ मनायी जा रही है। यह पूजा आज से एक महीने तक चलेगी।
जानिए कौन है भगवान शिव की लाडली बिटिया, जिसका आदेश मानते हैं दुनिया के सभी सर्प।
भगवान शिव के परिवार का जब भी चित्रण किया जाता है तो देवी पार्वती और गोद में गणेश के साथ कार्तिकेय को दिखाया जाता है। जिससे ऐसा लगता है कि भोलेनाथ के मात्र दो पुत्र ही हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान शिव के एक पुत्री भी है जिनका नाम है मनसा देवी, जो अपने पिता की बेहद लाडली मानी जाती है। मनसा देवी को भगवान शिव ने नागलोक का साम्राज्य प्रदान किया है।
मां मनसा देवी के देश में कई जगह उनके प्रसिद्ध मंदिर हैं, जहां मनोकामना पूर्ति के लिए उनकी पूजा की जाती है. माना जाता है खुश होने पर भक्तों की इच्छा मात्र से मनसा देवी उनकी हर जरुरत पूरी कर देती हैं. क्योंकि वह भक्तों के मन में निवास करती है।
मनसा देवी के जन्म को लेकर यह मान्यता है कि भगवान शिव और पार्वती मानसरोवर में जल क्रीड़ा कर रहे थे तब दोनों का तेज इकट्ठा होकर कमल के एक पत्ते पर जमा हो गया. जिसका संरक्षण करने के लिए वहां मौजूद पांच सर्पिणियों ने इस तेज को अपनी कुंडली में लपेट कर किया. समय आने पर महादेव और जगदंबा का यह तेज एक कन्या के रुप में बदल गया ।
बाद में जब मनसा देवी भगवान शिव और माता पार्वती के पास कैलाश पहुंचीं तो महादेव के गले में लटके नागराज वासुकि ने भगवान शिव से प्रार्थना की, कि मनसा देवी को नागलोक भेज दिया जाए. क्योंकि विश्व के प्रमुख अष्टनागों(अनंत, वासुकि, पद्य, महापद्य, तक्षक, कुलीर, कर्कोटक और शंख) की कोई बहन नहीं है।
भगवान शिव ने वासुकि की बात मानते हुए उन्हें नागलोक का साम्राज्य प्रदान किया। इस प्रकार मनसा देवी संपूर्ण नाग जाति की बहन और पुत्री मानी गईं और संपूर्ण नागजाति को उनके अधिकार में माना जाता है. कोई भी सर्प उनके आदेश को टाल नहीं सकता है।
नाग जाति पर मनसा देवी का एक बड़ा अहसान यह भी है कि भगवान कृष्ण के भांजे परीक्षित को तक्षक नाग ने जब डंस लिया तो उनके बेटे जनमेजय ने सर्प यज्ञ कराया. जिसकी वजह से दुनिया से सर्प जाति के विलुप्त होने लगी इस यज्ञ को मनसा देवी के बेटे आस्तीक ने ब