कसमार
गांवों मोहल्लों में भाषाई आंदोलन की आग फैली
आज कसमार थाना क्षेत्र के सैंकड़ों युवाओं और छात्रों ने मिथिलेश कुमार महतो के नेतृत्व में भाषा नियमावली की प्रतिलिपि को जलाकर राज्य सरकार के प्रति आक्रोश व्यक्त किया. कसमार के मंजूरा स्थित बिनोद बिहारी महतो स्मारक महाविद्यालय के समीप सपाहीटांड़ चौक में सैंकड़ों युवाओं ने भाषाई नियमावली के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करते हुए नारेबाजी भी किए.
विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे मंजूरा के युवा समाजसेवी मिथिलेश कुमार महतो ने राज्य सरकार को स्पष्ट चेतावनी देते हुए कहा कि झारखण्ड में किसी भी बाहरी भाषा को स्वीकार नहीं करेंगे. मैट्रिक और इंटर स्तरीय नियुक्तियों में क्षेत्रीय भाषा के रूप में शामिल किए किए गए भोजपुरी और मगही बोकारो और धनबाद वासियों की भाषा कदापि नहीं हो सकती. बोकारो और धनबाद जिलों में किराया के मकान में रहने वाले और अवैध रूप से झुग्गी झोपड़ी बना रहने वाले अतिक्रमणकारियों की भाषा भोजपुरी और मगही है. जिसे हम कतई स्वीकार नहीं करेंगे. हमारी माटी की भाषा में अतिक्रमण किसी भी कीमत में नही होने दिया जाएगा. उन्होंने मुख्यमंत्री से जल्द नियमावली में सुधार करने की मांग की तथा स्थानीय विधायक से भी सरकार पर दबाव डालने का आग्रह किए.
मौके पर सहदेव झारखंडी, राकेश कुमार, नीतीश कुमार, पियूष कांत चौधरी , रामानंद महतो, बंशीधर महतो, प्रदीप महतो, विजय कुमार केटिआर, अजित महतो ,सोमेश महतो, नंदलाल महतो, रूपेश महतो, आकाश महतो, फुलेश्वर महतो, राजेश महतो, प्रेमचंद करमाली,सुरज महतो, हराधन महतो, सुबोध महतो, संतोष महतो, श्रीधर महतो, मनीष महतो, संदीप महतो, जयलाल, छत्रधारी महतो, गणेश महतो सहित सैंकड़ों युवा व छात्र मौजूद थे.