स्टाफ रिपोर्टर, एएनएम न्यूज़: 1972 में पंजशीर में पैदा हुए अमरुल्ला सालेह ने अफगानिस्तान के उत्तरी इलाके के पंजशीर प्रांत में कबायलियों के साथ मिलकर तालिबानों को देश से उखाड़ फेंकने की कसम खा ली है। सूत्रों के मुताबिक अमरुल्लाह सालेह की जिंदगी का ज्यादातर हिस्सा हथियार चलाने में ही बीता है। अब उन्होंने एक बार फिर तालिबान के खिलाप हथियार उठा लिए। पंजशीर घाटी में उनका बहुत सम्मान है,जिस वजह से यहां के कबायली नेताओं ने सालेह की एक पुकार पर तालिबान के खिलाफ फिर जंग छेड़ दी और शुक्रवार तक 3 जिलों को तालिबान से मुक्त भी करा लिए। तालिबान ने 2020 में उनकी जान लेने की कोशिश की लेकिन किस्मत से वो बच गए। 2019 में अमरुल्लाह को अफगानिस्तान के उप राष्ट्रपति बनाया गया था। अफगानिस्तान के संविधान का ज़िक्र करके खुद को देश का नया राष्ट्रपति घोषित कर लिया। सूत्रों के मुताबिक सालेह एक समय नामचीन जासूस भी रहे हैं। 2001 में अमेरिका के लिए उन्होंने जासूसी भी की। पाकिस्तान की पूर्ब राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ को एक बार अल-कायदा का चीफ ओसामा बिन लादेन पाकिस्तान में ही छिपा हुआ है ये बात उन्होंने बताया था। अमरुल्ला सालेह अफगानिस्तान की खुफिया एजेंसी के चीफ भी रहे हैं।