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बीरक भान के शौर्य गाथा

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स्टाफ रिपोर्टर, एएनएम न्यूज़: मातूभूमि की रक्षा के लिए वीर जवानों को सेना में भेजने के लिए विख्यात है गांव अटाली। यहां के संदीप कालीरमन ने पुलवामा में आतंकवादियों के सर्चिंग अभियान के दौरान अपनी शहादत दी। इसी गांव के जवान बीरक सिंह ने कश्मीर में आतंकवादी सर्च अभियान के दौरान 28 गोली दाग कर तीन आतंकवादियों को मौत के घाट उतार दिया था। बीरक भान का जन्म 16 अप्रैल 1964 को गांव अटाली में हुआ। उनका पिता का नाम नारायण सिंह। 10वीं पास करने के बाद 16 सितंबर 1983 को सेना में भर्ती दौरान उनको सेना के 11 राजपूताना राइफल रेजीमेंट में शामिल किए गए। वर्ष 1994 में कश्मीर के पुलवामा में तैनात के दौरान स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर 14 अगस्त के दिन गांव कुलतरा में उनकी यूनिट आतंकवादी सर्च अभियान पर निकली थी। पहाड़ी पर तीन आतंकवादी अखरोट के पेड़ की साइड में छुपे हुए नजर आए तो बीरक भान ने अपने सूबेदार से आतंकवादियों पर फायरिंग करने की अनुमति मांग कर उनके हात में थामी हुई लाइट मशीनगन (एलएमजी) से लगातार गोली चलाते हुए तीनो आतंकवादियों को मोत के घाट उतार दिया था। ऐसे जांबाज सूरमा के जज्बे काे हर देशभक्त सलाम करता है। बीरक भान के इस अदम्य साहस के लिए उन्हें 15 मार्च 1995 को दिल्ली के परेड मैदान में आयोजित समारोह में थल सेना अध्यक्ष शंकरराय चौधरी ने सेना पदक से अलंकृत कर गौरव बढ़ाया। बीरक भान के चार बेटे हैं। तीन बेटे सेना में हैं, जिनमें राजकुमार, मुकेश कुमार सिग्नल कौर में हैं और पवन कुमार राजपूताना राइफल में देश की सेवा कर रहे हैं। और चौथे साेनू मर्चेंट नेवी में हैं।




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