तेंदूखेड़ा संत श्री रावतपुरा सरकार इन दिनों राजमार्ग चौराहे पर चातुर्मास अवधि व्यतीत करते हुए विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान संपन्न कर रहे हैं । इस दौरान वे उपस्थित शिष्यों को ज्ञान रूपी संदेशों से उपकृत भी कर रहे हैं । इसी क्रम में भक्तों को संबोधित पूजन करवाते रावतपुरा सरकार करते हुए उन्होंने कहा कि , प्रातः से वाणी निकलती है तो वह प्रार्थना ईश्वर अवश्य सुनते हैं । क्योंकि प्रातःकालीन मंदिरों के घंटे व घड़ियाल कहलाती है । यह प्रार्थना आखिर है उसमें दूसरों के लिए दया , मानवता की संगीतमय आवाज में सबके लिए क्या , क्यों हमारा हृदय विपत्ति के और पीड़ा अनुभूति का भाव इतना प्रार्थना होती है । प्रार्थना एक प्रकाश समय किसी के प्रति इतना कोमल हो महान होता है कि , वह प्रार्थना में है , प्रार्थना के दीपक में जितना घी जाता है कि , उसका सारा दुःख हम तब्दील हो जाता है । डाला जाता है उसकी लौ उतनी ही मोल लेना चाहते हैं । क्यों हमारी सारी तेज हो जाती है । वहीं तेज हमारे लिए संवेदनाएं इस प्रार्थना में समाधिष्ट प्रतिदिन हो रहे धार्मिक अनुष्ठान परमात्मा का द्वार खोलता है । होकर ईश्वर से आग्रह कर उठती हैं । इसीलिए प्रतिदिन की शुरुआत ऐसा तभी होता है जब व्यक्ति स्वयं के कार्यालय परिसर में चल रहे श्री भगवत् प्रार्थना के साथ करें । की पीड़ा अनुभव करते हुए दूसरों की रावतपुरा सरकार के चातुर्मास पीड़ा का अनुमान लगाता है । ऐसी कार्यक्रम के दौरान प्रतिदिन प्रातः ईश्वरसुनते हैं हृदयकीआवाज स्थिति ही सच्ची प्रार्थना होती है । उस 6.30 बजे से सायं 6.30 बजे तक ऐसे ही जब दूसरों के लिए हमारे हृदय समय हृदय से निकली आवाज को विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान जारी हैं ।