अफगानिस्तान से अमेरिकी और नाटो सैनिकों की वापसी के बाद तालिबान आक्रामक होता जा रहा है. तालिबान उत्तर अफगानिस्तान के कई जिलों पर कब्जा कर चुका है. अधिकारियों और रिपोर्टों के मुताबिक उत्तरी अफगानिस्तान में तालिबान की जीत से कई देश चिंतित हैं. कुछ देशों ने तो उत्तरी अफगान में स्थित अपने वाणिज्य दूतावासों को बंद कर दिया है, जबकि ताजिकिस्तान ने अपनी सीमा पर सुरक्षा बंदोबस्त पुख्ता करने के लिए सैन्य बलों की तैनाती बढ़ा दी है. तालिबान के बढ़ते प्रभाव से भारत भी चिंतित है और अफगानिस्तान में तैनात अपने अधिकारियों और नागरिकों को निकालने की तैयारी में है.
सूत्रों ने बताया कि अफगानिस्तान के शहरों और भीतरी इलाकों में बिगड़ते मौजूदा सुरक्षा हालात के कारण दूतावासों और वाणिज्य दूतावासों का संचालन मुश्किल होता जा रहा है. अफगान अधिकारी खुद तालिबान के हमले के खौफ से अपने सरकारी नियंत्रण वाले क्षेत्रों से जान बचाकर भागने लगे हैं.
अफगानिस्तान में भारत के पहले चार वाणिज्य दूतावास थे, जो काबुल में दूतावास के साथ जुड़े हुए थे. इसमें एक सैन्य कार्यालय भी था. वहां तैनात सैन्य अधिकारी अफगानिस्तान की सेना और पुलिस बलों के प्रशिक्षण में मदद कर रहे थे.यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि पूरा भारतीय स्टाफ वापस आएगा या कुछ वहीं रहेंगे, लेकिन उन्हें निकालने की योजना पर काम चल रहा है. भारतीयों को जल्द ही अफगानिस्तान से निकाल लिया जाएगा.