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आसनसोल उत्तर विधानसभा: क्या होगा मलय घटक की रणनीति

location_on ASANSOL access_time 02-Mar-21, 08:26 PM

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आसनसोल ब्यूरो: आसनसोल उत्तर विधानसभा सीट पश्चिम बंगाल की महत्वपूर्ण विधानसभा सीटों में से एक है क्योंकि इस विधानसभा सीट से पिछले दो बार से राज्य के मंत्री और मुख्यमंत्री की करीबी मलय घटक जीत रहे हैं। वर्तमान में वे राज्य के कानून एवं श्रम मंत्री हैं साथ ही वे पश्चिम बर्दवान जिला तृणमूल कांग्रेस के चेयरमैन भी हैं। आसनसोल में जितेंद्र तिवारी का कद कुछ हद तक कम होने के बाद से, उनके कंधे पर ही ज़िले में पार्टी अच्छे प्रदर्शन का भार है। आसनसोल उत्तर विधानसभा सीट से वे वर्ष 2011 और 2016 में ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में जीत दर्ज की थी। इस बार आसनसोल उत्तर विधानसभा सीट के परिणाम किस पार्टी के पक्ष में होगा, यह जनता को तय करना है। वही आसनसोल उत्तर विधानसभा सीट के 2016 चुनाव परिणाम पर नजर डाले तो आसनसोल उत्तर विधानसभा सीट पर 2016 में कुल 74 प्रतिशत वोट पड़े थे जिसमे मलय घटक ने भारतीय जनता पार्टी के निर्मल कर्मकार को 23897 वोटों के अंतर से हराया था। मलय घटक को 84715 वोट मिले थे तो भाजपा के निर्मल कर्मकार को 60818 वोट मिला था। जबकि राष्ट्रीय कांग्रेस की उम्मीदवार इंद्रानी मिश्रा को एक 31892 मतों से संतोष करना पड़ा था। आसनसोल उत्तर विधानसभा सीट आसनसोल लोकसभा के अंतर्गत आती है। इस संसदीय क्षेत्र से सांसद हैं। बाबुल सुप्रियो ने 2019 लोकसभा चुनाव में ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेसके श्रीमती देव वर्मा (मूनमून सेन) को 197637 से हराया था। लोकसभा चुनाव में भाजपा ने आसनसोल उत्तर विधानसभा क्षेत्र से बढ़त बनाई थी और भाजपा इस बढ़त को बनाये रखना चाहती है। 2011 में मलय घटक ने सीपीएम के रानू राय चौधरी को 47793 मतों के बड़े अंतर से हराया था। मलय घटक को 96011 वोट मिले थे वही 2016 में मलय घटक का जीत का अंतर काफी घट गया। इसबार चुनाव में भाजपा कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ा हुआ है क्योंकि पूरे राज्य में भाजपा का जनाधार बढ़ा है तृणमूल के कई कद्दावर नेता भाजपा में शामिल हो गए हैं। भाजपा कार्यकर्ताओं का जोश बढ़ा हुआ है उनका मानना है कि पूरे राज्य में भाजपा के पक्ष में वयार बह रही है। एक ओर तृणमूल कांग्रेस अपने विकास कार्यों और उत्तर विधानसभा क्षेत्र में मलय घटक के द्वारा किए गए कार्यों के बल पर जीत की हैट्रिक लगाना चाहती हैं वही भाजपा 2016 के अंतर को पटाकर तृणमूल कांग्रेस पर बढ़त बनाने की जुगाड़ लगा रही है। इस विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम मतदाता निर्णायक हैं और यदि मुस्लिम वोट में बिखराव हुआ तो भाजपा की जीत की आसार बढ़ जाएगी ऐसे में सीपीआईएम, कांग्रेस और एसडीएफ गठबंधन और ओवैसी की पार्टी मलय घटक की चिंता बढ़ा सकती है। फिलहाल जो भी हो यह तो जनता जनार्दन तय करेंगे कि ऊंट किस करवट बैठेगा। यह 2 मई को पता चलेगा।




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