टोनी आलम, एएनएम न्यूज़ : गांव का नाम देशेर महान। रविवार को यह नाम सार्थक हवा। यहां रहने वाले 230 परिवारों मे सिर्फ एक ही हिंदु परिवार है। गांव के अल्पसंख्यक परिवार के संकट मे बहुसंख्यक मुसलमान संप्रदाय के लोगों ने आगे आकर साथ दिया। शनिवार को ज्यादा उम्र के कारण रामधनु अस्वस्थ हो गये। गांव के लोग उनको दुर्गापुर के कई निजी अस्पताल ले गये। आखिरकार रानीगंज के एक निजी अस्पताल मे शनिवार को शाम चार बजे उनका देहान्त हो गया। अकेले रामधनु रजक के अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी गांव वालो ने उठा ली। गांव के मुसलमान संप्रदाय के लोगों ने ही रामधनु की लाश शमशान ले गये और हिंदु रीति-रिवाजों के मुताबिक अंतिम संस्कार किया गया। सिर्फ अंतिम संस्कार ही नहीं बुजुर्ग की चिकित्सा की भी जिम्मेदारी गांव के लोगों ने ही ली थी। जमुड़िया के अंतिम छोर पर अजय नदी के तट पर स्थित गांव के लोगों ने सांप्रदायिक सौहार्द का परिचय दिया। देशेर महान सच्चे मायनो मे महान है। जहां रहीम ने राम के शव को कंधे पर उठा लिया।