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किताबें पढ़ने की आदत फिर से रथ के पहिये के साथ वापस आने लगी

location_on WEST BENGAL access_time 12-Jul-21, 05:58 PM

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टोनी आलम, एएनएम न्यूज़ : कुछ लोग राम की सुमति, मेजदीदी, छुटी, पाथेर पांचाली जैसी रोचक कहानियों की किताबें पढ़ रहे हैं। भीषण गर्मी में जब उनके कपड़े पसीने से भीग जाते हैं तो उनके मुंह से पसीना भर जाता है और किसी को इसकी भनक तक नहीं लगती। जमुरिया के मालती पारा, कथल पारा, मोर पारा समेत जुबा आदिवासी पारा के विभिन्न इलाकों में ऐसी दुर्लभ तस्वीर देखने को मिली। हाथ में नई किताब पाकर वे बेहद खुश हैं। लेकिन सवाल यह है कि गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले आदिवासियों के हाथ में इतनी नई किताबें कहां से आईं! थोड़ा और आगे एक बड़ा आश्चर्य दिखा। क्या बात है! उनमें से कोई भी छात्र नहीं है। टोकरियाँ, फावड़े और कांटे लेकर खेत में काम पर जाने वाले आदिवासी लोग एक-एक करके नई किताबें ले जा रहे हैं। लेकिन क्यों? पूछे जाने पर सनमोनी बसकी, सीता ओरंग, टिंकू कोरारा ने कहा कि वह मोबाइल लाइब्रेरी के जरिए एक दिलचस्प पुरस्कार जीतने वाली है। जगन्नाथ देव के साथ इस रथ में पंक्तियों में सुंदर और रोचक पुस्तकों की व्यवस्था की गई है। जो कोई भी इसे देखेगा वह इसे एक बार पढ़ना चाहेगा। इस रथ में आपको न केवल कहानी की किताबें मिलेंगी बल्कि कहानी की कविताओं से लेकर कहावतों, खेती, औषधीय पौधों, प्राथमिक उपचार और अंधविश्वास से छुटकारा पाने के उपाय भी मिलेंगे। स्ट्रीट मास्टर की इस मोबाइल लाइब्रेरी को पाकर इंद्रजीत कोरा, श्रावंती बस्की, प्रकाश हंसदार समेत क्षेत्र के सैकड़ों छात्र-छात्राएं भी खुश हैं।




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