-फुटबॉल स्टेडियम बनकर तैयार
-जिला मुख्यालय में एक भी फुटबॉल क्लब नहीं
-सरकार ने जिले में फुटबॉल के विकास लिए खोला डे बोर्डिंग सेंटर,
-दो माह में अबतक नहीं मिले फुटबॉल खिलाड़ी
गढ़वा : फुटबॉल खेल को बढ़ावा देने को लेकर सरकार की और से खेलो इंडिया खेलो के तहत जिला मुख्यालय में फुटबॉल का डे बोर्डिंग सेंटर खोला गया है। सरकार की ओर से डे बोर्डिंग सेंटर खोलते ही सेंटर में द्रोणाचार्य (प्रशिक्षक) के रूप में नियुक्ति भी कर दिया। सरकार की और से नियुक्ति के बाद द्रोणाचार्य के रूप में दो माह पूर्व ही प्रशिक्षक के रूप में योगदान भी कर चुके है। द्रोणाचार्य को दो माह योगदान दिए हो गया। इन दो माह में द्रोणाचार्य को न तो मैदान मिल पा रहा और न तो अर्जुन ही मिल रहे हैं।
जिले के द्रोणाचार्य बिना शिक्षा दिए ही अपना गुरु दक्षिणा भी पा रहे हैं।
फुटबॉल स्टेडियम बनकर तैयार :
फुटबॉल स्टेडियम बनकर छह माह पहले ही बनकर तैयार है, उसके बाबजूद भी खेल प्रेमियों और खिलाड़ी के लिए स्टेडियम उपलब्ध नहीं हो सका है। जिसके कारण आउटडोर के सभी खेल, लगभग एक साल से जिला मुख्यालय में मैदान के अभाव में बंद है। छह माह से बनकर तैयार स्टेडियम खुलने का इंतजार खेल प्रेमी कर रहे हैं। भले ही खेल प्रेमी स्टेडियम में खेलने और घूमने का सपना देख रहे हों, पर जिले के प्रशासनिक पदाधिकारी ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर स्टेडियम में फ्रेंडशिप फुटबॉल मैच का आयोजन कर मैच खेल लिए, स्टेडियम आम लोगों के लिए कब खुलता है यह यक्ष प्रश्न बन गया है।
एथेलेटिक्स, कुश्ती और बॉलीबॉल का होता है ट्रेनिंग :
जिले में तीन खेल संघ एथेलेटिक्स, कुश्ती और बॉलीबॉल का डे बोर्डिंग सेंटर संचालित होता है। जिसमें खिलाड़ी को प्रशिक्षण दिया जाता है। इसके लिए कोच नियुक्त किए गए हैं। मैदान नहीं होने के कारण उनका भी अभ्यास सही तरीके से नहीं हो पा रहा है।
स्टेडियम खिलाड़ी को उपलब्ध हो :
गढ़वा जिला के
पूर्व फुटबॉल खिलाड़ी अनूप चौधरी ने कहा कि गढ़वा जिले में एक दशक पूर्व फुटबॉल जिला मुख्यालय सहित प्रखंड में भी खेला जाता था, परंतु आज यह खेल जिला से लुप्त हो रहा है। इस खेल संघ से जुड़े लोग खेल के विकाश के बदले अपना विकाश कर रहे हैं। जिसका परिणाम है कि फुटबॉल एक दशक से गढ़वा शहर में नहीं खेला जा रहा है।
गढ़वा के
पूर्व फुटबॉल खिलाड़ी सलीम जाफर ने कहा कि नया फुटबॉल स्टेडियम खुलना चाहिए। फुटबॉल संघ के जो पदाधिकारी हैं, उनका जिम्मेवारी बनता है कि इस दिशा में पहल कर नया फुटबॉल स्टेडियम खिलाड़ियों को उपलब्ध करवाएँ। गढ़वा के फुटबॉल खेल से जुड़े लोगों के कारण फुटबॉल खेल नहीं हो पा रहा है। जिला फुटबॉल संघ की ओर से एक दशक से फुटबॉल का किसी तरह के प्रतियोगिता का आयोजन नहीं कराया गया है, जिसके कारण आज पूरे जिले में एक भी फुटबॉल क्लब नहीं है। जबकि एक दशक पहले जिला मुख्यालय सहित सभी प्रखंडों में क्लब की टीम था, फुटबॉल खेल को शहर में फिर से जिंदा करने की जरूरत है।
पूर्व फुटबॉल खिलाड़ी राजेश विश्वकर्मा ने कहा कि स्टेडियम बनने से काफी खुश थे कि फिर से गढ़वा में फुटबॉल खेल शुरू होगा।
परंतु स्टेडियम निर्माण के बावजूद भी स्टेडियम आम लोगों के लिए नहीं खुला। जानकारी के अनुसार मैदान मापक के अनुसार नहीं तैयार हुआ है, जिसके कारण मैदान आम लोगों के लिए उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। अगर मैदान नियम के अनुरूप तैयार नहीं है तो इसका असर यही होगा कि यहाँ अंतरराष्ट्रीय मैच नहीं हो सकते हैं। ऐसे भी गढ़वा में फुटबॉल के अंतरराष्ट्रीय मैच होंगे ही कितने। स्टेडियम आम लोगों के लिए खोला जाए ताकि लोग इसका लाभ लें सकें। वैसे भी आज के लड़के इनडोर गेम, जैसे एविएटर फ्री फ़ेयर गेम में उलझ कर रह गए हैं। प्रशासन से आग्रह है कि इस पर विशेष ध्यान देते हुए नवनिर्मित स्टेडियम को ताला मुक्त करे, जिससे बच्चे, खिलाड़ी और खेलप्रेमी आउटडोर गतिविधियां कर सकें।
जिला में खुला फुटबॉल सेंटर:
सरकार ने जिले में फुटबॉल के विकास लिए डे बोर्डिंग सेंटर खोला है। फुटबॉल डे बोर्डिंग सेंटर में फुटबॉल खिलाड़ियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा, परंतु प्रशिक्षण पाने के लिए अब तक जिले से एक भी खिलाड़ी नहीं मिले। इसके बाद प्रशासन की ओर से खिलाड़ी के चयन के लिए पलामू जिले में शिविर का आयोजन लगभग एक माह पहले किया गया, उसके बाबजूद भी शिविर शुरू नहीं हो सका है।