गढ़वा : राज्य कर्मियों के लिए पुरानी पेंशन बहाली की मांग करने वाली संगठन, नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम झारखंड के सांगठनिक स्वरूप झारखंड ऑफिसर्स, टीचर्स एंड एम्पलाइज फेडरेशन के प्रांतीय कार्यकारिणी ने पुरानी पुरानी पेंशन की अर्हता रखने वाले सेवानिवृत्ति कर्मचारीयों को पेंशन पाने की प्रक्रिया में एनएसडीएल एवं केंद्र सरकार असहयोगात्मक रवैये के खिलाफ आंदोलन करने का निर्णय लिया है।
झारोटेफ जिला इकाई गढ़वा के जिलाध्यक्ष सुशील कुमार ने प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली तत्कालीन झारखंड सरकार ने 01 सितंबर 2022 से अपने राज्य कर्मियों के लिए पुरानी पेंशन बहाल कर दिया है। अभी तक लगभग दो दर्जन सेवानिवृत कर्मियों को पुरानी पेंशन का लाभ भी मिल चुका है।
राज्य कर्मियों को पुरानी पेंशन प्राप्त करने के लिए नई पेंशन योजना के तहत उनके एनपीएस खाते में जमा सरकारी अंशदान को लाभ सहित सरकार को वापस करना पड़ता है सरकार के अंशदान की जानकारी उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी केंद्र सरकार के अधीनस्थ काम करने वाली संस्था एनएसडीएल की है। एनएसडीएल, कर्मचारियों को यह डाटा उपलब्ध कराने में 6-6 महीना तक का समय ले रहा है।
ऐसे में सेवानिवृत्ति के उपरांत पेंशन प्राप्त करने में कर्मचारियों को साल साल भर तक का इंतजार करना पड़ रहा है। नवंबर दिसंबर 2023 में आवेदन कर चुके कई कर्मचारियों का डाटा भी अभी तक एनएसडीएल ने उपलब्ध नहीं कराया है।
इस विषय पर झारखंड ऑफिसर्स, टीचर्स एंड एम्पलाइज फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष विक्रांत कुमार सिंह ने कहा कि "राज्य सरकार के संवेदनशील निर्णय के उपरांत राज्य कर्मियों को पुरानी पेंशन का लाभ प्राप्त हुआ है परंतु केंद्र सरकार की हठधर्मिता और एनएसडीएल के ढीले रवैया से कर्मचारियों को यह लाभ प्राप्त करने के लिए कई कई महीनो तक का इंतजार करना पड़ रहा है।
सूचना तंत्र एवं कंप्यूटर के इस युग में कर्मचारियों को डाटा प्राप्त होने में इतना विलंब होना समझ से परे है।ऐसा प्रतीत होता है कि एनएसडीएल जानबूझकर केंद्र के इसारे पर पुरानी पेंशन की प्रक्रिया में रुकावट डाल रहा है।
समस्त राज्य कर्मी एनएसडीएल के इस रवैये से आक्रोशित हैं। राज्य में पुरानी पेंशन बहाली के उपरांत उनके एनपीएस खाते में जमा राशि को शेयर बाजार में फंसा कर रखने का अब कोई औचित्य नहीं है यह कर्मचारियों को अविलंब वापस किया जाना चाहिए।
केंद्र सरकार ने अगर ऐसा नहीं किया तो कर्मचारी आंदोलन करने के साथ ही न्यायालय के शरण में जाने पर भी विचार करेंगे।
इसके साथ है अपने 11 सूत्री जायज़ मांगों की पूर्ति हेतु संगठन ने तीन चरणों में आंदोलन की घोषणा की है।
आंदोलन के प्रथम चरण में पूरे जुलाई महीने में राज्य के सभी प्रखंडों में "कर्मचारी चेतना जागरण" कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा।
11 अगस्त को राज्य के सभी जिला मुख्यालय में "कर्मचारी शक्ति समागम" कार्यक्रम किया जाएगा। 1 सितंबर 2024 को राज्य की राजधानी रांची में "कर्मचारी संकल्प महासम्मेलन" का आह्वान किया गया है।
इन कार्यक्रमों का उद्देश्य अपने मुद्दे को लेकर कर्मचारियों के बीच जागरूकता पैदा करना, अपनी मांगों की पूर्ति हेतु सभी संगठनों एवं सभी संवर्गों के कर्मचारियों को एकजुट करना एवं कर्मचारियों की एकजुट शक्ति से उनके सामूहिक मसलों का समाधान निकालना है।
आंदोलन के संदर्भ में प्रांतीय महासचिव उज्जवल तिवारी ने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार कर्मचारियों की हितैषी सरकार हैं परंतु कुछ गिने-चुने ब्यूरोक्रेट्स सरकार एवं कर्मचारी के मध्य संवाद और समन्वय को पचा नहीं पा रहे हैं और जानबूझकर आए दिन ऐसे अव्यावहारिक एवं गैर जिम्मेदाराना आदेश निकाल रहे हैं तथा कई संवर्गों के सेवा नियमावली में गैर लाभकारी संशोधन कर रहे हैं ताकि सरकार और कर्मचारियों के बीच टकराव की स्थिति पैदा किया जा सके।
संगठन ऐसे निरंकुश पदाधिकारियो के विरुद्ध आंदोलन करने को विवश है। इन पदाधिकारियों को चिन्हित कर माननीय मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन को अवगत कराया जाएगा। हमें पूर्ण विश्वास है कि वर्तमान संवेदनशील सरकार हमारी समस्याओं का त्वरित समाधान निकालेगी।
साथ ही झारोटेफ जिला इकाई गढ़वा के जिलाध्यक्ष सुशील कुमार, जिलासचिव विमलेश कुमार, जिला कोषाध्यक्ष राजीव कुमार मिश्रा, जिला प्रवक्ता डॉक्टर कृष्ण कुमार यादव, जिला मीडिया प्रभारी दिलीप कुमार सिंह, उपाध्यक्ष हेमेंद्र दास, सुनय राम एवम् महिला प्रकोष्ठ की अध्यक्षा विमला तिग्गा ने संयुक्त रूप से जिले के समस्त शिक्षकों, कर्मचारियों एवम् अधिकारियों से हार्दिक अपील किया है कि एनएमओपीएस/झारोटेफ की इस वर्ष की वार्षिक सदस्यता ग्रहण अतिशीघ्र करना सुनिश्चित करें ताकि संगठन को आर्थिक रूप से मजबूत किया जा सके।