गढ़वा जिला के लिए यह विडंबना ही है कि दशकों से यहाँ के चुनावी जुमलों में बिजली देने कि बात हर दल प्रमुखता से करता है। गढ़वा-रंका विधानसभा, भवनाथपुर विधानसभा और विश्रामपुर विधानसभा के कुछ क्षेत्र (कांडी, मझिआंव, बरडीहा) के चुनावी वादों में बिजली ही एकमात्र मुद्दा है जो सभी प्रत्याशियों के द्वारा प्रतिबद्धता से दुहराई जाती है, लेकिन आजतक यह समस्या जस का तस बरकरार है।
अब ऐसी स्थिति में यक्ष प्रश्न यह है कि आखिर गढ़वा के किस्मत में बिजली कब?
पिछली रघुवर दास जी की सरकार में स्वयं मुख्यमंत्री महोदय ने गढ़वा की धरती से हुंकार भरते हुए कहा था कि यदि 2018 अंत तक निर्बाध बिजली नहीं दिया तो वोट मांगने नहीं आऊंगा। तब गढ़वा में भाजपा के श्री सत्येंद्र नाथ तिवारी जी, विश्रामपुर में भी भाजपा के श्री रामचंद्र चंद्रवंशी जी और भवनाथपुर में वर्तमान के भाजपा विधायक श्री भानु प्रताप जी थे। खैर 2018 तो बीत गया लेकिन बिजली नहीं मिली और सूबे से श्री रघुवर दास जी सरकार की विदाई के साथ ही इन तीनों विधानसभा क्षेत्रों में मात्र गढ़वा से ही चेहरा बदला और यहाँ के झामुमो विधायक श्री मिथलेश ठाकुर जी सूबे में पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री बनने के बाद कटिबद्धता के साथ आज के दिन यानी 15 जुलाई 2020 से पुरे गढ़वा जिले को निर्बाध रूप से 24 घंटे बिजली देने का वादा किया तो लेकिन बिजली 24 घंटे नहीं मिली बल्कि स्थिति दयनीय बनी हुई है। ऐसे में बताया जा रहा है कि भागोडीह सुपर सबस्टेशन से ₹46 लाख कीमत के 39000 लीटर तेल चोरी हो जाने से बिजली मिलने में दस दिन और लग जाएगी।
अब ऐसी रहस्यमयी चोरी अपने आप में हास्यास्पद है कि जहां गार्ड की व्यस्था है वहां से इतनी बड़ी चोरी संभव कैसे? यदि सरकार ने 15जुलाई को उद्घाटन तय किया था तो क्या कोई सरकारी आयोजन की तैयारी थी?
या ऐसे ही स्वीचमैन के द्वारा स्विच ऑन कर दिया जाना था?
अभीतक के जानकारी से तो कहीं भी यह स्पष्ट नहीं है कि 15 जुलाई को किसी भी ऑन-लाइन अथवा ऑफ-लाइन आयोजन की तैयारी थी, फिर तेल चोरी क्या अपनी नाकामी छुपाने की सरकार की साजिश है?
अगर सरकारी षडयंत्र नहीं है तो इतनी बड़ी चोरी करने वाला पकड़ से बाहर क्यों?
एक और जानकारी प्राप्त हुई है कि अभी भी भी भीखही में टावर पोल का कुछ काम अधूरा है, तो फिर सरकार बीना कनेक्शन के बिजली कैसे देने वाली थी?
खैर संभव हो कि झारखंड सरकार के पास कोई जादुई तरीका हो, लेकिन जहाँ तक बात इन क्षेत्रों के लोगों कि है तो पिछले कई दशकों से हम सुनते आ रहे हैं कि बिजली समस्या बस कुछ दिन और रहेगी फिर निर्बाध बिजली मिलेगी, लेकिन यहाँ उल्टा है समस्या का समाधान तो छोड़िए बल्कि स्थिति दिनों दिन और दयनीय होती जा रही है ।
अब सरकार ने दस दिन बाद का जो डेडलाइन दिया है हम उसे भी देख लेते हैं खैर हमने सैकडों खोखले दावे सुने हैं और उनकी सत्यता की कहानी भी हम बखुबी जानते हैं, ऐसे में एक और तारीख सही...
सन्नी देयोल का डायलॉग "तारीख पर तारीख" यहाँ के नेताओं ने भी खुब दिया है हमें और हम लाचार बेबस जनता खुब तालियाँ बजाते रहे हैं ।
चलिए दस दिन बाद के भी तारीख पर जोरदार ताली बजाते हुए अपने पुराने कटु अनुभवों के साथ एकबार फिर उक्त तारीख के इंतजार में लग जाते हैं ।
कभी तो अंधेरा छटेगा, विकास का सुरज निकलेगा और बिजली गढ़वा को मिलेगी।
नेताओं का चुनावी भाषण इस विषय पर कब बंद होगा पता नहीं ..
मेरे हिसाब से अब हद हो रही है इसलिए कोई नया चुनावी सहारा ढ़ूँढ़ कर इस समस्या का समाधान कर देना चाहिए ।