■ओवरलोड वाहनों से वसूली कर छोड़ दी जाती है या प्रबंधन से है सांठगांठ?
■सुरक्षा का नही हैं कोई मापदंड
●प्रदूषण की चपेट में ग्रीन गोला, प्रशासन मौन
रामगढ़,झारखंड : प्रदूषण की चपेट में ग्रीन गोला का आपने एक एपिसोड पढ़ा। अब उसके दूसरे एपिसोड में प्रशासन की नजरिया को दिखाते हैं। झारखंड का ग्रीन प्रखंड कहलाने वाला गोला इन दिनों पूरी तरह प्रदूषण के चपेट में है। प्रखंड क्षेत्र के चारों ओर फैक्ट्रियों से निकलने वाली जहरीली धुंआ से खेतों, घर के आंगन, छत, पेड़ों में कालिख की परतें जम जाती है। इससे किसानों का कृषि का कार्य तो प्रभावित हुआ ही है, लोगों और स्कूली बच्चों के सेहत पर भी काफी प्रभाव पड़ा है। उल्लेखनीय है कि कई फैक्ट्रियां स्कूल, कॉलेज के समीप ही है। कृषि बहुल क्षेत्र और गांव के पास रहने के कारण फैक्ट्रियों से निकलने वाली जहरीली धुआं घरों में जाता है। यह तो रहा फैक्ट्रियों से निकलने वाली धुंआ का असर। अब चलें वाहनों में ओवरलोडिंग, जिससे बढ़ता प्रदूषण का खतरा और दुर्घटना की संभावना। सड़कों पर तेज रफ़्तार से दौड़ता ओवरलोड हाइवा और ट्रक। इन वाहनों से सड़कों पर गिरता डस्ट और उड़ती धुलकन से लोगों को परेशानी हो रही है। इस ओर से प्रशासन का नजरिया मौन दिखाई देती है। या तो इन वाहनों से वसूली कर वाहनों को छोड़ दी जाती है या तो फैक्ट्री प्रबंधन से उनका सांठगांठ है।
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झारखंड में वाहनों के कागजात, सीट बेल्ट और दोपहिया वाहनों को चलाने वाले के सर पर हेलमेट की चारों ओर जांच हो रही है, जो बहुत ही जरुरी है। परन्तु यह भी जरुरी है कि वाहनों में ओवरलोड की जांच हो। वाहनों में लगा हुआ डस्ट, कोयला, आयरन ओर, हाईवा चालक जो बहुत ही कम उम्र के हैं, उनके ड्राइवरी लाइसेंस की जांच बहुत ही कम होती है। वाहनों में बगैर ढके हुए डस्ट को तेज रफ्तार से ले जाया जाता है। जिससे दुर्घटनाओं की संभावनाएं बढ़ जाती है। क्षेत्र में प्रदूषण ओवर लोड की शिकायत कई बार विभागों से की गई। लेकिन इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जाता हैं।
- सुरक्षा का नहीं है कोई मापदंड-
फैक्ट्रियों में सुरक्षा का नहीं है कोई मापदंड, जिस कारण प्रदूषण की चपेट में तो क्षेत्र हैं ही। फैक्ट्रियों में काम करने वाले मजदूर भी सुरक्षित नहीं है। लिहाजा आए दिन फैक्ट्रियों में दुर्घटनाएं होती रहती हैं और मजदूर मौत के काल में समा जाते हैं।